Wednesday, 14 October 2020

विघण हरण गणराज है

विघण हरण गणराज है, शंकर सुत देवाँ

कोट विघन टल जाएगाँ, हारे गणपति गुण गायाँ

शीव की गादी सुनरियाँ, ब्रम्हा ने बणायाँ

हरि हिरदें में तुम लावियाँ, सरस्वति गुण गायाँ

संकट मोचन घर दयाल है, खुद करु रे बँड़ाई

नवंमी भक्ति हो प्रभु देत है, गुण शब्द की दाँसी

गण सुमरे कारज करे, लावे लखं आऊ माथ

भक्ति मन आरज करे, राखो शब्द की लाज

रीधी सीधी रे गुरु संगम, चरणो की दासी

चार मुल जिनके पास में, हारे राखो चरण आधार

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