जय गणपति गवरी को नंदन
प्रथम तुमक मनावा हो
कोण तेरी माता न कोण तेरो पिता
किन घर लियो आवतर हो
गवरा हो माता पिता शिव शंकर
उन घर लियो आवतर हो
काहे न केरो पालणो बँधावा
काहे न डोर लगावा
अगर चनन को पालणो बँधावा
रामा रेशम डोर लगावा
काहे न केरो भोग लगावा
काहे न पूजा चड़ावा हो
मोदक लाङू भोग लगावा
रामा नारियल फुल चड़ावा हो
एक दंत दोई नेत्र बिराजे
रामा केशर तिलक लगाया हो
दोंद बड़ी रे दंतासुर मोटा
रामा लम्बी सूंड रुळाया हो
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