Tuesday, 11 October 2022

तुम म्हारी नौका धीमी चलो

तुम म्हारी नौका धीमी चलो, म्हारा दीन दयाला
जाई न राम जी ढ़ाढ़ा रयाँ, जमना पयली हो पारा
नाव लाव रे तु नावडा, आन बैगी पार उतारो
उन्डी लघावजै आवली, उतरा ठोकर मार
सोना मड़ाऊ थारी आवली, रूपया न को रे वास
निरबल्या मोहे बल नही, मोहे फेड़ा हो राम
म्हारा कुटूंम से हाऊ एकलो, म्हारो घणो परिवार
बिना पंख को सोवटो, आरे पंछी चल्यो रे आकाश
रंग रूप वो को कुछ नही, लग भुख नी प्यास
कहे कबीर धर्मराज से, आरे हाथ ब्रम्हा की झारी
जन्म जन्म को दुखयारी, राखो लाज हमारी

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