जेट मास गर्मी को रे महीनों प्रेम प्यास लग जावे
प्रेम प्यास लग जावे गुराजी मन्हे याद तमारी आवे
आसाड़ महिना की आसा जो लागी इंदर चड़ घर आवे
सतगुरु म्हारा समंद समाना धरती धाप घर आवे
सावन में साहेब घर आवे सखिया रे मंगल गावे
पांच सखी मिल मंगल गावे पिया मंगन हुई जावे
भादव हो भक्ति को रे महीनों गुरु बिन जिव दुःख पावे
कहे कबीर सा सुणो भाई साधो चरणों में शीश नमावे
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