संत निसाणी करी गया, कोई आया म्हारा दास
खम्ब नहीं पैड़ी नहीं निर्गुण निराधार
आवागमन को गम नहीं, ऐसो ब्रह्म विचार
द्रष्टि आवे जाको द्रष्ट हैं, विषिया को वास
जैसे चंदा की चांदनी, ऐसो मेरो नाथ
धन जीवन कोपर हरा, छोड़ो माया की आस
लोभ लालुच क मती मानो, छुटे गर्भ निवास
माया मद्य में हद्द हैं, खड़ी सिद्धों की पाल
थाव अथाव कछु नहीं, देखो खड़ा आकाश
पन्थ बिना नही चलना, ऐसो अगम अगाध
धरा अम्बर दोई थिर करो, किया मनरंग वास
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