सोने की अंगूठी गोरी तुने हाथो में रखणा।
सोबत म्याना तुने ढोंडी गमाई हमने क्या करणा जी॥
दखण दिशा से चीर बुलाया न चोली सीलवाणा।
कस लेवो अपना अंग यार की सैलाणी रखणा जी॥
न्हाय धोय कर बाल सुखाणा न शीश रे गुथवाणा।
कर लेवो अपना दिल में विचार फिर रम्बा दिलावर चलना जी॥
दिलावर तो चलना हो गोरी नेचा ईमान का रखणा।
करी जाय बैरण घात आज फिर हमको मत कयणा जी॥
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