Saturday, 14 March 2020

एक अतीपल चंचल नार

एक अतीपल चंचल नार पिया से मिला रही हो नजरा,
पिया मुझे ला देना गजरा॥
गजरे वाला आया शहर मे अजब लगी रे दुकान,
मेरा है उस गजरे पर ध्यान।
हिरा मोती लाल जड़ाया बिच रेखा परमान,
के गजरा चमक रहा चौगान।
इस गजरे बिन फिका लगता कंकू और कजरा॥
मेरे बरोबरी की सखीया यार सब गजरा लेती है,
मेरे कौ नोक लगाती है।
लप झप करती यार कुये पर पानी जाती है,
मेरे को वहा सरमाती है।
इस गजरे बिन जाय मरुगी अब होण हेवो फुजरा॥
तुम मेरे सरदार बात पर ख्याल न लावोगे,
मेरे को जीति न पावोगे।
गजरा लेके यार हाथ मेरे पहेनावोगे,
सुख जिंदगी का पावोगे।
हाथ जोड़ कर खड़ी सामने मीला रही नजरा॥
इतना सुनकर दिलभर यार ने किया दिल में विचार,
जाकर पहुचा मंज बजार।
अनमोल गजरा लिया बिसार घर आया दिलदार,
नार ने सोळा कीया सिनगार।
कहे बंकट आनंदराम, सहेली हुई सभी फुजरा॥

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