बिगर पेच का झाड़ चलो न सखी बजार मैंसर का।
कर मिन्तर सी बात चौक मे् सौदा दोनो का जी॥
ऐली धड़ बैगाँव पैली धड़ खासा मर्दाना।
पाणी भर पणीहारी मुसाफीर मोहबत का प्यासा जी॥
मेरे महेल में डाला बिछोना न सोने को आना।(गोरी तुने)
चार पाव की जले मशाल ना तुने डरना जी॥
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