तुम झुरणो सुनो म्हारा नाथ तुम्हरो म्हारो जोड़ो
पातळीया मख एक लड़ी मती छोड़ो
अलबेला पिता वचन से पदर बधाणी
हाऊ लाल चुन्दड़ीया पेरी न चूड़ी असमानी
बालम जी तुमरा मण्डप म लाड़ी कवाणी
तम मख लेण क आवजो न लावजो घोड़ो
म्हारा प्राणपति मख एक लड़ी मती छोड़ो
विदना न मिलायो जोड़ो तुम्हरो म्हारो जोड़ो
पातळीया मख एक लड़ी........
एक चैत मास आणो लग न तुमरा घर आऊगाँ
अलबेला म्हारा मन की बात न कहुगा
या सासु नणद का बोल कटारी सरी सहुगा
बालम जी हाऊ घुंघटो करी न पाणी लाऊगा
देखो कसा आभूषण पेरीया न मुख मती मोड़ो
पातळीया मख एक लड़ी........
सिंगार आभूषण सारा न कंकू कपाळ
अलबेला तम बहोत आग जंजाल
तम लीजो हरिजी को नाम न दिन दयाल
बालम जी म्हारी गोदी न दीजो हीरो लाल
हाऊ कां तक करुणा करु की साथ मती छोड़ो
पातळीया मख एक लड़ी........
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