बैदड़ सोक की कहु रे जगत म, बुरी भई लड़ाई।
आरे पुरब जन्म को बैर रांड वा लेने को आई॥
पहली लुगाई मिली ब्याव की उमर में छोटी रे।
करो म्हारो दुसरो ब्याव म्हारा घर दौलत कीनी कम थी।
हितु भाई मिल बैट ज्वान की आकल सला होती।
फेकी नीघा चौ तरफ की लड़की मिली उमर म मोटी।
प्याराजी लालुच म डाल कर ब्याव कीया था उसका॰
प्याराजी वो नही जाणे पड़े रे फजीता घर का॰
करण हार करतार करम म् छटी जो लिखी गई॥
हितु भाई मिल बैठ कमेटी टीप लिख वाई रे भाई होण।
जल्दी करो तैयारी हल्दी लगने की घड़ी आई।
आज करो तैय्यारी काल तुम जात जिमाड़ो रे।
लगी रही दौड़ा दोड़ सुंदर को जल्दी लावो ब्याई।
प्याराजी
प्याराजी पियर म खबर होने नही हो पाई॰
पियर खबरा पाई रातभर नींद नही आई रे॥
बड़ी फजर परभात हुयो भमसारो न पय फाटी।
माय बाप नकी छोरी सुंदर घर से भागी।
हितु भाई जहाँ बैठ ब्याव की सभा कैसी बैठी।
आवत देखी सुंदर क सब नकी होय भागा भागी।
प्याराजी कहु हाथ जोड़ी अरदास घड़ेक ठाड़ा रहीजो॰
प्याराजी मन काई करयो अपराध मक तुम कईजो॰
ये कहा रे हितु भाई सेज म्हारी नदी म डोबाई रे॥
हाथ जोड़ी आरदास म्हारा सी काई तुम दुख पाई।
पुरब जन्म को बैर म्हारा पर बैंदड़ को लाई।
बाल पणा संग रया सेज संग धोती पर राजी।
Saturday, 14 March 2020
बैदड़ सोक की कहु रे जगत म
Labels:
लावणी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment