मारी मारी हो नन्द जी का लाल न रंग पिचकारी।
हाऊ रंग म भीज़ई गई सारी॥
काना तुक कहू समझाई।
म्हारी साथ म सखी न भी आई।
रंगी दी रे यशोदा का लाल न सखींया सारी॥
सब ग्वाल बाल वहा आया।
सब सखी न क रंग लगाया।
राधा की हो नवरंग साड़ी भिज़ई गई सारी॥
वहा देवता फुल बरसाव।
वाहा सखी न भी मंगल गाव।
गोकुल का लोग सब आया न मथुरा सारी॥
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