Saturday, 14 March 2020

गोरे रंग से हो दंग नार तेरी

गोरे रंग से हो दंग नार तेरी अंगीया मखमुल की।
आरे बाके नैन सेहो चोट मार थारी लटक जान देखी जी
कंचन काया लुटी दोस्त तुने लाख रुपईया की।
सोना सरी को बदन मजा तुन ली म्हारा जोबन की जी॥
दिया जो बन का दान सेज पर खवा गई टिकी।
गरमी मे गल तान अंगिया भिज़ गई मखमुल की जी॥
छड़ी छाट होती तो जोस मे दिवाल कुद जाती।
पर धरणी म गीरी सुध ना रही अपने तन की जी॥
साई रे लाल उस्ताद जिन्होने धुंध गाई बाकी।
गोरा रंग गोरी का देख कर सुरत गई बहेकी जी॥

No comments:

Post a Comment