जय संत सिंगाजी महाराज
कवि सिंगाजी को निमाड़ के कबीर कहा जाता है। उन्होंने निर्गुणी भक्तिधारा की अनोखी निर्झर बहायी। वास्तव में वे नर्मदांचल की महान् विभूति थे। आज भी निमाड़ में उनके जन्म स्थान व समाधि स्थल पर उनके पगल्यों (पद्चिन्हों) की पूजा की जाती है। पशुपालक उन्हें पशु दूध और घी अर्पण करते हैं। इन स्थानों पर घी की अखण्ड ज्योत भी प्रज्वलित रहती है।
कवि सिंगाजी को निमाड़ के कबीर कहा जाता है। उन्होंने निर्गुणी भक्तिधारा की अनोखी निर्झर बहायी। वास्तव में वे नर्मदांचल की महान् विभूति थे। आज भी निमाड़ में उनके जन्म स्थान व समाधि स्थल पर उनके पगल्यों (पद्चिन्हों) की पूजा की जाती है। पशुपालक उन्हें पशु दूध और घी अर्पण करते हैं। इन स्थानों पर घी की अखण्ड ज्योत भी प्रज्वलित रहती है।