Sunday, 15 January 2017

हारा रे मोरे भाई नाथ मैं

हारा रे मोरे भाई नाथ मैं
एक बंद ढूंढा सकल बंद ढूंढा, ढूंढत ढूंढत हारा
तीरथ धाम हम सब ढूंढी आया
प्रभु मिल्या घट माही
नहीं मेरा यारा नहीं मेरा प्यारा, नहीं मेरा बन्धु भाई
तुम बिन मोहे कौन उभारे
लेवो बाह पसारी
प्राण बाण जब छुटन लाग्या, कायर भयो मन माही
प्रेम कटारी लगी हिरदा में
ऊबो हुयो नहीं जाई
नहीं साहेब आर नहीं आहेब पार, सागर भरिया अपार
बिना पावत यो सोर ढुबत है
कुन्ज ढुब्यौ जल माही
दीनदयाल कृपा करो हम पर, गरीब नु काज सुधारों
कहत कबीर सुणो भाई साधो
जोत म जोत समाई

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