हरि भजन बीन नही मख सुद रे
काऽ गयो चतुर सुजान
लख चौरासी नर फिरी आयो रे
असो ति भी नही गयो अंहकार
नव महीना तक गर्भ म रईयो
असो बायर हुयो बईमान
राम नाम तुन नही लीयो रे
असो पाप कऽ धरी लियो हाथ
बाळ पणो तुन खेल मऽ गवायो
भरी जवानी तिरीयाँ को साथ
आयो बुडापो देख क्यो रोयो रे
थारा सिर पर घुमी रईयो काळ
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