म्हारा हिरदा ज्ञान दीजो गुरूजी म्हारा
आड़ी वाट जाऊ मक जाण मती दीजो, भूल्या क राह बतावजो
भूल्या मन क फिरि समझावजों, निर्भय पंथ बतावजो
बन म जाई न गय्या चराऊ, साझ पड़े घर आवजो
प्रेम को डोर म्हारा गला सी लगावजो, निर्गुण खुटी बंधाजो
सत सुक्रत को चारो चरावजो, दया को दाणो खीलावजो
शील संतोष की छाया कराजो, सोहम गुठाण बिठाजो
अष्ठ पहर म्हारा संग म रइजो, संत समागम मीलावजो
कहें जण सिंगा सुणो गुरुदेवा, आवागमन मिटावजो
Jay singa samrath
ReplyDeletejai singaji
ReplyDeleteJay singaji
ReplyDeleteJay singaji ki
ReplyDeleteJAY shingaji maharaj
ReplyDelete।।👣जय सिंगाजी महाराज👣।।
ReplyDeleteसिंगाजी जग में जीवता, सेवक सुमेर अपार।
जन कारण तन धरियो,लियो मनुष्य अवतार।।
नगर खजुरी में जनम्या न गवलई घर अवतार ।माता गवुर को पय पियो ,न हरयो भूमि को भार।।
।।👣जय महाराज👣।।
👍 bahut badiya bhagat ji, jay singa ji
Deleteजय श्री संत सिंगाजी महाराज 🌹🙏 सदैव ऐसी कृपा बनाए रखना और आपके भजन ऐसे ही गाता रहूं बाबा गजानन गणपति महाराज और मां सरस्वती का आशीर्वाद बना रहे मुझ पर और आप सदैव मेरे साथ रहे
ReplyDeletejay singaji
Deleteजय
Deleteसिंगाजी की