Tuesday, 11 August 2020

साखी

प्रथम नमों गुरु आपणा, दुजा देव गणेश |
तीजा सुमरो देवी तीन जणा ,ब्रम्हा, विश्णु, महेश ||

सरस्वती माँ तोहे बिनमा, विध्या दिजो मोय।
कंठ कोकीला हर बसो, तो नित उठ लागा पाय ||

कंठ बसो मा शारदा, करो हिरदे मे ग्यान |
श्वेत वस्त्र तुम धारियाँ, तो उज्जवल दिजो ग्यान ||

नगर खजोरी मऽ जन्मीयाँ, न गवळई घर अवतार
माता गवरा  को पय पियो, जिन हरीयो भुमी को भार

राम नाम की कोठड़ी, चंदन जड़ीया कीवाड़ |
ताळा कूची प्रेम का, तुम खोलो नंद कुमार ||

घाँघर डुबी जल में, न जल घाँघर का माय
दुनीया डुबी पाप मे, तो धर्म सयो नही जाय

बन बन बाजे बांसुरी, बन मऽ ताल मृदंग
बन बन झुले राधीका, को बन मऽ नंद किशोर

राम नाम के लेने से, सकल पाप कट जाय
जैसे सुर्य के उदय होने से अंधकार मिट जाय

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