संजोवन आरती सावळीयो घर आयो हो
माता यशोदा थारो कान घर आयो हो
हाथी से तो हाथी लड़ाया पवन गड़ ना पहाड़ फोड़िया
रावण न दस मस्थक तोड़िय सीता जीत लायो हो
कुंदो से तो कुंदापुरम दुढो हुई न भेद बतायो
रोवन पोवण धरती नाचे बलिराजा क चमकायो हो
इंगला पिंगला रथ सिंगारिया भक्त जनों का काम सुधारिया
हनुमान को संगम लियो सीता चुरई लायो हो
गुरु ज्ञानी किन्ही सेवा सगळई धरती पिंड लगाई
चौदह रतन घर आया हो
तो मच्छ रूप नारायण लिना संखा सुर को भेद दिना
लई भेद बृम्हा को दिना न भक्त जगा घर आयो हो
भगवान ने तो भक्त उभारिया माता पिता श्रवण न तरिया
धरती तो प्रलाहद उभारिया नरसिंग रूप लई आयो हो
धरती नी तो आरती किनी चंदा सूरज न दिया बणाया
पंडोला लई न पाटन खाया सभी संत बैठाया हो
धायो नी धुलायो बालो जल म बठी न न्हायो बालो
जल म कमला लायो हो जीनो जै जैकार बधायो हो
पाट सागर सेना उतारी अपने नाम की शिला तारी
जल जमुना को मंथन माथियो वासुक नाग नथायो हो
दसवा में तो धरम जगाया हरी सुमरण से ध्यान लगाया
निराकार की आरती गाई जस नागर न्गयो हो
सोहन केरी थाल संजोया अगर धुप की बाती किन्ही
कपूर किनी जोत जलाई +++++++++बधाया हो
Sunday, 5 January 2014
संजोवन आरती सावळीयो घर आयो
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आरती
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