Wednesday, 21 April 2021

राम रमे सोई ज्ञानी

राम रमे सोई ज्ञानी
हा सब दरकाये दो चार महिना बोले वेद की बानी हो
हा भरम मिटे ना गुरु बिना रे मरम गुरु से पानी मेरे साधू भाया
राम रमे सोई ज्ञानी
हा दूध पिलाये माँ कहलाये पिता कहेन समझाई हो
को जाने को मात पिता रे भरम भावना न जानी मोरे साधू भाया 
हा राम रमे सोई ज्ञानी
हा मरना रे जिना धरम शरीरा करम रंग फकीरा हो
हा मुरदे को तो धरम बतावे चेत रूप नहीं जाना मोरे साधू भाया
राम रमे सोई ज्ञानी
हा माटी का सब बामण बनिया माटी का सकल पसारा हो
हा इस माटी में सबको मिलना कहें गये साहब कबीरा मोरे साधू भाया
राम रमे सोई ज्ञानी

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