अजमत भारी क्या कहूँ सिंगाजी तुम्हारी
झाबुआ देश भादर सिंग राजा
अरे जिन गई बाजु को फेरी
जहाज वान ने तुमको सुमरा
अरे जिन डूबी जहाज उबारी
नदी सीपराळ बहे जल गंगा
अरे जिन दुहि झोट कुवारी
कहें जण सिंगा सुणो भाई साधो
अरे थारी माया कीरे बलिहारी
अजमत भारी क्या कहूँ सिंगाजी तुम्हारी
झाबुआ देश भादर सिंग राजा
अरे जिन गई बाजु को फेरी
जहाज वान ने तुमको सुमरा
अरे जिन डूबी जहाज उबारी
नदी सीपराळ बहे जल गंगा
अरे जिन दुहि झोट कुवारी
कहें जण सिंगा सुणो भाई साधो
अरे थारी माया कीरे बलिहारी
संगी हमारा चंचला, कैसे हाथ जोड़ावे
काम कोर्ध विष भरी रया
काशी सुख आवे
आया श्री हरी नाम को, सोदा नहीं रे हिसाया
संगत तोता की नहीं
अरे झुटा संग किया
मिट्टी केरा जी धरिया, पाय मनरंग भरिया
पाव पलक कर धरी
अरे वो फेरा किना