"हम परदेशी पावणा दो दिन का मेजवान"
संगी हमारा चंचला, कैसे हाथ जोड़ावे
काम कोर्ध विष भरी रया
काशी सुख आवे
आया श्री हरी नाम को, सोदा नहीं रे हिसाया
संगत तोता की नहीं
अरे झुटा संग किया
मिट्टी केरा जी धरिया, पाय मनरंग भरिया
पाव पलक कर धरी
अरे वो फेरा किना
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