Wednesday, 30 November 2022

राम सुमर ले प्राणी रे मनवा रूठे राज मनावे रे कोई

राम सुमर ले प्राणी रे मनवा रूठे राज मनावे रे कोई

साधू की वाणी सदा हो सुहाणी ज्यो झिरिया का पाणी

खोजत खोजत खोज लिया रे

कई हिरा कई काणी

चुन चुन कंकड़ महेल बनाया उसमे भंवर लुभाणी

आया इसारा गया पसारा

झूटी अपणी वाणी

राम नाम की लुट कर बंदे गठरी बांधो ताणी

भवसागर से पार उतर जा

नहीं जाय नरक की खाणी

कहें जण सिंगा सुणो भाई साधो यो पद है निरबाणी

या पद की कोई करो खोजना

गुरु कह गये अमृत बाणी

No comments:

Post a Comment