Sunday, 27 November 2022

भीमसिंग लागियो झुला नो केरो दान हड़म्बा झुलणा झूली रही रे

भीमसिंग लागियो झुला नो केरो दान हड़म्बा झुलणा झूली रही रे

भीमसिंग डावाँ पाँव की ठोकर मारिया हो

आरे आसो झूलो गयो रे गगन का माय

बाबा आज तो देखियो डोलो मालवो रे

आरे असी आवत देखि गड़ गुजरात

भीमसिंग इना झुला क थोड़ो थामी दीजो रे

आरे आसा भीमसिंग तुम पुरुष हम नार

भीमसिंग थारी नजर को एक पूतळ्यो रे

आरे आसा घटुध्वज धरियो वोको नाम

भींमसिंग पाँच भाई चल्या बन का माय रे

आरे आसा घर छोड़ी आया सुभद्रा नार

बाबा रे दास कबीर जा की बिनती रे

आरे आसा राखो ते चरण अधार

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