भीमसिंग लागियो झुला नो केरो दान हड़म्बा झुलणा झूली रही रे
भीमसिंग डावाँ पाँव की ठोकर मारिया हो
आरे आसो झूलो गयो रे गगन का माय
बाबा आज तो देखियो डोलो मालवो रे
आरे असी आवत देखि गड़ गुजरात
भीमसिंग इना झुला क थोड़ो थामी दीजो रे
आरे आसा भीमसिंग तुम पुरुष हम नार
भीमसिंग थारी नजर को एक पूतळ्यो रे
आरे आसा घटुध्वज धरियो वोको नाम
भींमसिंग पाँच भाई चल्या बन का माय रे
आरे आसा घर छोड़ी आया सुभद्रा नार
बाबा रे दास कबीर जा की बिनती रे
आरे आसा राखो ते चरण अधार
Jay singaji
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