Wednesday, 17 October 2018

जीवणा है दिन चार जगत में

जीवणा है दिन चार जगत में

सुबे से हरि नाम सुमरले, मानुष जनम सुधार

सत्य धर्म से करो कमाई, भोगो सब संसार

माता पिता गुरु की सेवा किजे, और पर उपकार

पशु पक्षी नर सब जीवन में, ईश्वर अन् निहारु

गलत भाव मन से बिसराजो, सबसे प्रेम बिहो

सकल जगत के हो अंदर, पुरण बृम्ह अपार

यह संसार स्वप्न की माया, ममता मोये निहार

हरि की शरण जोड़ भव बंधन, पावो मोक्ष दुवार

Tuesday, 16 October 2018

दया करो म्हारा नाथ

दया करो म्हारा नाथ, हुँउ रे गरीब जन ऐकलो

अठ्ठारह भार वनस्पति फलियाँ, हारे फुले डाल म डाल

वाही म चन्दन ऐकलो, जाकी निरमल वाँस

कई लाख तारा झरमीयाँ, गगन अस्मान बीच

वाही म चन्दाँ ऐकलो, जाकी निर्मल जोत

अन्न ही चुगता चुगीरया, हारे पंछी पंख पसार

वाही म हंसा ऐकलो, हारे मोती चुग-चुग खाय

कहेत कबीर धर्मराज से, साहेब सुण लिजै

मिलती ते परदा खोल के, हारे आपणो कर लिजो

Monday, 15 October 2018

आणो आयो रे पारीब्रम्ह को

आणो आयो रे पारीब्रम्ह को, सासरिया को जाणो

चालो म्हारा संग की सहेलीया, आपुण पाणी क जावा

उंडो कुवो न मुख साकरो, रेशम डोर लगावा

चालो म्हारा संग की सहेलीया, आपुण बाग म जावा

चंपा चमेली दवळो मोगरो, फूल गजरा गुथावा

चालो म्हारा संग की सहेलीया, आपुण शीश गुथावा

कछु गुथा न कछु गुथणा, मोतीयाँ भांग सवारा

चालो म्हारा संग की सहेलीया, आपुण चोली सीलावा

कछु सीवी न कछु सीवणा, चोली अंगा लगावा

कहत कबीर धर्मराज से, साहेब सुण लेणा

सेन भगत जा की बिनती, राखो चरण आधार

Sunday, 14 October 2018

होत आवेरो म्हारा धाम को

 होत आवेरो म्हारा धाम को, गुरु न भेज्यो परवाणो

हम कारज निर्माण किया, आरे परमेश्वर को जाणु

मुल रच्यो निजधाम को, जाकर होय रे ठिकाणु

ओ सल्ला बिहार के,काई लावो रे बयाना

कस के कमर को जायगो, जामे साधु समाना

बहु सागर जल रोखीयाँ, देव जबर निसाणी

चेहरा हो देखो निहार के, काहे दल को हो धाम

नाम शब्द को राखजो,आरे बैकुंट को जाणु

सब संतन का सार है, चाहे होय परवाणो

तीरुवर परवाणो कीजीये, नही देणा रे भेद

गुरु मनरंग पहिचाणिया, मानो वचन हमारो