Monday, 15 October 2018

आणो आयो रे पारीब्रम्ह को

आणो आयो रे पारीब्रम्ह को, सासरिया को जाणो

चालो म्हारा संग की सहेलीया, आपुण पाणी क जावा

उंडो कुवो न मुख साकरो, रेशम डोर लगावा

चालो म्हारा संग की सहेलीया, आपुण बाग म जावा

चंपा चमेली दवळो मोगरो, फूल गजरा गुथावा

चालो म्हारा संग की सहेलीया, आपुण शीश गुथावा

कछु गुथा न कछु गुथणा, मोतीयाँ भांग सवारा

चालो म्हारा संग की सहेलीया, आपुण चोली सीलावा

कछु सीवी न कछु सीवणा, चोली अंगा लगावा

कहत कबीर धर्मराज से, साहेब सुण लेणा

सेन भगत जा की बिनती, राखो चरण आधार

No comments:

Post a Comment