आणो आयो रे पारीब्रम्ह को, सासरिया को जाणो
चालो म्हारा संग की सहेलीया, आपुण पाणी क जावा
उंडो कुवो न मुख साकरो, रेशम डोर लगावा
चालो म्हारा संग की सहेलीया, आपुण बाग म जावा
चंपा चमेली दवळो मोगरो, फूल गजरा गुथावा
चालो म्हारा संग की सहेलीया, आपुण शीश गुथावा
कछु गुथा न कछु गुथणा, मोतीयाँ भांग सवारा
चालो म्हारा संग की सहेलीया, आपुण चोली सीलावा
कछु सीवी न कछु सीवणा, चोली अंगा लगावा
कहत कबीर धर्मराज से, साहेब सुण लेणा
सेन भगत जा की बिनती, राखो चरण आधार
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