Wednesday, 17 October 2018

जीवणा है दिन चार जगत में

जीवणा है दिन चार जगत में

सुबे से हरि नाम सुमरले, मानुष जनम सुधार

सत्य धर्म से करो कमाई, भोगो सब संसार

माता पिता गुरु की सेवा किजे, और पर उपकार

पशु पक्षी नर सब जीवन में, ईश्वर अन् निहारु

गलत भाव मन से बिसराजो, सबसे प्रेम बिहो

सकल जगत के हो अंदर, पुरण बृम्ह अपार

यह संसार स्वप्न की माया, ममता मोये निहार

हरि की शरण जोड़ भव बंधन, पावो मोक्ष दुवार

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