Thursday, 15 December 2022

अजमत भारी क्या कहूँ सिंगाजी तुम्हारी

अजमत भारी क्या कहूँ सिंगाजी तुम्हारी

झाबुआ देश भादर सिंग राजा

अरे जिन गई बाजु को फेरी

जहाज वान ने तुमको सुमरा

अरे जिन डूबी जहाज उबारी

नदी सीपराळ बहे जल गंगा

अरे जिन दुहि झोट कुवारी

कहें जण सिंगा सुणो भाई साधो

अरे थारी माया कीरे बलिहारी

Saturday, 3 December 2022

संगी हमारा चंचला, कैसे हाथ जोड़ावे

संगी हमारा चंचला, कैसे हाथ जोड़ावे

काम कोर्ध विष भरी रया

काशी सुख आवे

आया श्री हरी नाम को, सोदा नहीं रे हिसाया

संगत तोता की नहीं

अरे झुटा संग किया

मिट्टी केरा जी धरिया, पाय मनरंग भरिया

पाव पलक कर धरी

अरे वो फेरा किना

Wednesday, 30 November 2022

राम सुमर ले प्राणी रे मनवा रूठे राज मनावे रे कोई

राम सुमर ले प्राणी रे मनवा रूठे राज मनावे रे कोई

साधू की वाणी सदा हो सुहाणी ज्यो झिरिया का पाणी

खोजत खोजत खोज लिया रे

कई हिरा कई काणी

चुन चुन कंकड़ महेल बनाया उसमे भंवर लुभाणी

आया इसारा गया पसारा

झूटी अपणी वाणी

राम नाम की लुट कर बंदे गठरी बांधो ताणी

भवसागर से पार उतर जा

नहीं जाय नरक की खाणी

कहें जण सिंगा सुणो भाई साधो यो पद है निरबाणी

या पद की कोई करो खोजना

गुरु कह गये अमृत बाणी

Sunday, 27 November 2022

भीमसिंग लागियो झुला नो केरो दान हड़म्बा झुलणा झूली रही रे

भीमसिंग लागियो झुला नो केरो दान हड़म्बा झुलणा झूली रही रे

भीमसिंग डावाँ पाँव की ठोकर मारिया हो

आरे आसो झूलो गयो रे गगन का माय

बाबा आज तो देखियो डोलो मालवो रे

आरे असी आवत देखि गड़ गुजरात

भीमसिंग इना झुला क थोड़ो थामी दीजो रे

आरे आसा भीमसिंग तुम पुरुष हम नार

भीमसिंग थारी नजर को एक पूतळ्यो रे

आरे आसा घटुध्वज धरियो वोको नाम

भींमसिंग पाँच भाई चल्या बन का माय रे

आरे आसा घर छोड़ी आया सुभद्रा नार

बाबा रे दास कबीर जा की बिनती रे

आरे आसा राखो ते चरण अधार

Thursday, 24 November 2022

बैठे पांडव राज सभा में बैठे पांडव राज

बैठे पांडव राज सभा में बैठे पांडव राज

हरकती आई कोतमा माय

अर्जुन भीम नकुल सहदेव, राजा धरम का पास

नकुल सरिका बंधव बैठ्या

सभी हरिगा राज

अभिमन्यु तो पुत्र खावे, आयो सभा के माय

भीमसिंग ने माथा हाथ फेरिया है

लियो गोद उठाय

भीमसिंग तो यो कह बोलिया, सुणो राजा धरम

अभिमन्यु की करो सगाई

लेवा तुम्हरो नाम

राजा धरम तो यो कर बोलिया, पूछो वीर सहदेव

चार वेद जिनका मुख माहि

जाण सभी को भेद