अजमत भारी क्या कहूँ सिंगाजी तुम्हारी
झाबुआ देश भादर सिंग राजा
अरे जिन गई बाजु को फेरी
जहाज वान ने तुमको सुमरा
अरे जिन डूबी जहाज उबारी
नदी सीपराळ बहे जल गंगा
अरे जिन दुहि झोट कुवारी
कहें जण सिंगा सुणो भाई साधो
अरे थारी माया कीरे बलिहारी
"हम परदेशी पावणा दो दिन का मेजवान"
अजमत भारी क्या कहूँ सिंगाजी तुम्हारी
झाबुआ देश भादर सिंग राजा
अरे जिन गई बाजु को फेरी
जहाज वान ने तुमको सुमरा
अरे जिन डूबी जहाज उबारी
नदी सीपराळ बहे जल गंगा
अरे जिन दुहि झोट कुवारी
कहें जण सिंगा सुणो भाई साधो
अरे थारी माया कीरे बलिहारी
संगी हमारा चंचला, कैसे हाथ जोड़ावे
काम कोर्ध विष भरी रया
काशी सुख आवे
आया श्री हरी नाम को, सोदा नहीं रे हिसाया
संगत तोता की नहीं
अरे झुटा संग किया
मिट्टी केरा जी धरिया, पाय मनरंग भरिया
पाव पलक कर धरी
अरे वो फेरा किना
राम सुमर ले प्राणी रे मनवा रूठे राज मनावे रे कोई
साधू की वाणी सदा हो सुहाणी ज्यो झिरिया का पाणी
खोजत खोजत खोज लिया रे
कई हिरा कई काणी
चुन चुन कंकड़ महेल बनाया उसमे भंवर लुभाणी
आया इसारा गया पसारा
झूटी अपणी वाणी
राम नाम की लुट कर बंदे गठरी बांधो ताणी
भवसागर से पार उतर जा
नहीं जाय नरक की खाणी
कहें जण सिंगा सुणो भाई साधो यो पद है निरबाणी
या पद की कोई करो खोजना
गुरु कह गये अमृत बाणी
भीमसिंग लागियो झुला नो केरो दान हड़म्बा झुलणा झूली रही रे
भीमसिंग डावाँ पाँव की ठोकर मारिया हो
आरे आसो झूलो गयो रे गगन का माय
बाबा आज तो देखियो डोलो मालवो रे
आरे असी आवत देखि गड़ गुजरात
भीमसिंग इना झुला क थोड़ो थामी दीजो रे
आरे आसा भीमसिंग तुम पुरुष हम नार
भीमसिंग थारी नजर को एक पूतळ्यो रे
आरे आसा घटुध्वज धरियो वोको नाम
भींमसिंग पाँच भाई चल्या बन का माय रे
आरे आसा घर छोड़ी आया सुभद्रा नार
बाबा रे दास कबीर जा की बिनती रे
आरे आसा राखो ते चरण अधार
बैठे पांडव राज सभा में बैठे पांडव राज
हरकती आई कोतमा माय
अर्जुन भीम नकुल सहदेव, राजा धरम का पास
नकुल सरिका बंधव बैठ्या
सभी हरिगा राज
अभिमन्यु तो पुत्र खावे, आयो सभा के माय
भीमसिंग ने माथा हाथ फेरिया है
लियो गोद उठाय
भीमसिंग तो यो कह बोलिया, सुणो राजा धरम
अभिमन्यु की करो सगाई
लेवा तुम्हरो नाम
राजा धरम तो यो कर बोलिया, पूछो वीर सहदेव
चार वेद जिनका मुख माहि
जाण सभी को भेद