भक्ति दान मोहे दिजीये, देवन के हो देवा
]करु संत की सेवा
नही रे मांगूँ धन सम्पदा, सुन्दर वर नारी
सपना म रे मांगूँ नही = मोहे आन तुम्हारी
तीरथ बरत मोसे ना बने, कछू सेवा ना पुजा
पतीत ठाड़ो परभात से = आरु देव न दुजा
करमन से रिध सिद्ध घणा, वैकुंठ निवासा
किंचित वर मांगूँ नही = जब लग तन स्वासा
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