यो जो पावणों नहीं माने रोके बिन वाट
बड़े बड़े मन्दिर छोड़ के धरणी सुख सोया
जुगत जुगत झूला झुलजो
पँखा वाल झुलावां
वागो सिलयों जरीदार को माथ कुसमल फ़ाग
भरी सभा में हो बैठ के
गावे उजवल राग
सवालई गुड़ लापसी, घेवर करू पकवान
घेर तपाव आकरा
खारिया करो आचार
बड़े बड़े मन्दिर छोड़ के धरणी सुख सोया
जुगत जुगत झूला झुलजो
पँखा वाल झुलावां
वागो सिलयों जरीदार को माथ कुसमल फ़ाग
भरी सभा में हो बैठ के
गावे उजवल राग
सवालई गुड़ लापसी, घेवर करू पकवान
घेर तपाव आकरा
खारिया करो आचार
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