कैसे रुप बड़ायो रे नरसींग
ना कोई तुमरा पिता कहावे, ना कोई जननी माता
खंब फोड़ प्रगट भये हारी = अजरज तेरी माया
आधा रुप धरे प्रभू नर का, आधा सिंह सुहाया
हिरणा का शिश पकड़ धरण में = नख से फोड़ गीराया
गर्जना सुन के देव लोग से, बृम्हा दिख सब आये
हाथ जोड़ कर बिनती कीनी, शान्ति रुप कराया
अन्तर्यामी सर्व को न्यापक, ईश्वर वेद बताया
हरी नाम सत्य कर समझो = वह परमाण दिखाया
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