सरग बांदया रे साधू झोपड़ा, कलु म कीया अधवारा
घर बांदया रे घर की नीव नही, नही लाग्या सुतार
लावो घर के पारप्ठी = घर बांदया कैलाश
घर ऊचा धारण नीचा, दियो जड़ रे आकाश
सागर ताक जड़ावियाँ = जाको वस्तर अपार
घर छाया घर ना गले, चट घट करी पास
नीरगुण पाणी झेलीयाँ = वो घर का रे माय
घर बांदया रे घर की नीव नही, घर को रची गयो नाम
जहाँ सींगा न जलम लियो = दल्लू आया मेजवान
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