Friday, 28 October 2022

संत निसाणी करी गया

संत निसाणी करी गया, कोई आया म्हारा दास
खम्ब नहीं पैड़ी नहीं निर्गुण निराधार
आवागमन को गम नहीं, ऐसो ब्रह्म विचार
द्रष्टि आवे जाको द्रष्ट हैं, विषिया को वास
जैसे चंदा की चांदनी, ऐसो मेरो नाथ
धन जीवन कोपर हरा, छोड़ो माया की आस
लोभ लालुच क मती मानो, छुटे गर्भ निवास
माया मद्य में हद्द हैं, खड़ी सिद्धों की पाल
थाव अथाव कछु नहीं, देखो खड़ा आकाश
पन्थ बिना नही चलना, ऐसो अगम अगाध
धरा अम्बर दोई थिर करो, किया मनरंग वास

Wednesday, 26 October 2022

साबूत रखणा ध्यान धरम पर डट जाणा

साबूत रखणा ध्यान धरम पर डट जाणा
डटे जाणा रे महाराज धरम पर डट जाणा
डटे धरम पर हरिशचंद राजा
काशी मे बिक गए तिनो प्राणी
जीन बेची दिया रे परिवार मिल्या रे भगवान
डटे धरम पर मोहरध्वज राजा
रतन कुवर पर आरा चलाया
वो बिकी गयो रे संसार मिल्या रे भगवान
डटी धरम पर मीरा बाई
विष अमृत चरणा मृत है
जीन जहर पियो रे तत्काल मिल्या रे भगवान
डटे धरम पर स्वामी सिंगा जी
असा हाथ से नौबत बाजे
जिन जिवती ली रे संमाधी गया रे प्रभू धाम, मिल्या रे भगवान

Tuesday, 25 October 2022

पांडव चल्या रे बनवास रईयत

पांडव चल्या रे बनवास रईयत सब झुखा हो ठाड़ मं ठाड़
बड़ी फजल प्रभात उठी न लेवा धरम को नाम
पंलग पर सी बठा हुई न, आरे वो धरीया जमीन पर पाव
रईयत रईयत बेटा बेटी हमसे रयो नी जाय
तुम पांडव बनवास सिधारो, आरे हम रवाँ कोण का पास
हतनापुर की रईयत बोली सुणो कोतमा माय
काकड़ पर थारी मड़ी बणावाँ , आरे तुम वहा कटो न बनवास
राजा अर्जून तो ऐसा बोल्या सुणो हमारी बात
बारह बारस एकछण म काटा, आरे हम आवा तुम्हारा पास
राजा भीम तो ऐसा बोल्या सुणो हमारी बात
गदा उठई न कांधा धरिया, आरे तुम चलो मुलाजा तोड़
राजा धरम तो ऐसा बोल्या सुणो सभा चीत बात
गुरू मनरंग और स्वामी गावलीयो, आरे हम रवा तुम्हारा पास

Monday, 24 October 2022

हम परदेशी पावणां,

हम परदेशी पावणां,
दो दिन का मेजवान
आखीर चलना अंत को
नीरगुण घर जांणा
नांद से बिंद जमाईया
जैसे कुंभ रे काचा
काचा कुंभ जळ ना रहे
एक दिन होयगा विनाशा
खाया पिया सो आपणां,
दिया लिया सो लाभ
एक दिन अचरज होयगा
उठ कर लागो गे वाट
ब्रह्मगीर ब्रह्म ध्यान में,
ब्रह्मा ही लखाया
ब्रह्मा ब्रह्मा मिसरीत भये
करी ब्रह्म की सेवा

Saturday, 22 October 2022

गुरू रे गोवींद दिजो रे बताय

गुरू रे गोवींद दिजो रे बताय
गुरूजी तुम्हारा पय्याँ लागू रे
गुरू रे घट मऽ ईधारो बाहेर सुज नही रे
गुरू म्हारो ज्ञान को दिपक जलाओ
गुरू रे जन्म जन्म को हाऊ तो सोई रयो रे
गुरू मखऽ अवसर मऽ दिजो रे जगाय
गुरू रे भव सागर म जळ उंडो घणो रे
गुरू रे हमक उतारो पयली पार
गुरू रे दास दल्लूजा की बिनती रे
गुरू रे राखो तो चरण आधार

Friday, 14 October 2022

काया नही रे सुहाणी भजन बिन

काया नही रे सुहाणी भजन बिन

बिना लोण से दाल आलोणी

गर्भवास म्हारी भक्ति क भूली न, बाहर हूई न भूलाणी

मोह माया म नर लिपट गयो, सोयो तो भूमि बिराणी

हाड़ मास को बणीयो रे पिंजरो, उपर चम लिपटाणी

हाथ पाव मुख मस्तक धरीयाँ, आन उत्तम दीरे निसाणी

भाई बंधु और कुंटूंब कबिला, इनका ही सच्चा जाय

राम नाम की कदर नी जाणी, बैठे जेठ जैठाणी

लख चैरासी भटकी न आयो, याही म भूल भूलाणी

कहे गरु सिंगा सूणो भाई साधू, थारी काल करग धूल धाणी

जेट मास गर्मी को रे महीनों

जेट मास गर्मी को रे महीनों प्रेम प्यास लग जावे
प्रेम प्यास लग जावे गुराजी मन्हे याद तमारी आवे
आसाड़ महिना की आसा जो लागी इंदर चड़ घर आवे
सतगुरु म्हारा समंद समाना धरती धाप घर आवे
सावन में साहेब घर आवे सखिया रे मंगल गावे
पांच सखी मिल मंगल गावे पिया मंगन हुई जावे
भादव हो भक्ति को रे महीनों गुरु बिन जिव दुःख पावे
कहे कबीर सा सुणो भाई साधो चरणों में शीश नमावे

Tuesday, 11 October 2022

तुम म्हारी नौका धीमी चलो

तुम म्हारी नौका धीमी चलो, म्हारा दीन दयाला
जाई न राम जी ढ़ाढ़ा रयाँ, जमना पयली हो पारा
नाव लाव रे तु नावडा, आन बैगी पार उतारो
उन्डी लघावजै आवली, उतरा ठोकर मार
सोना मड़ाऊ थारी आवली, रूपया न को रे वास
निरबल्या मोहे बल नही, मोहे फेड़ा हो राम
म्हारा कुटूंम से हाऊ एकलो, म्हारो घणो परिवार
बिना पंख को सोवटो, आरे पंछी चल्यो रे आकाश
रंग रूप वो को कुछ नही, लग भुख नी प्यास
कहे कबीर धर्मराज से, आरे हाथ ब्रम्हा की झारी
जन्म जन्म को दुखयारी, राखो लाज हमारी