म्हारी मैना वंती माता,
नीर भरो थारा नैन मक्यो रे बैठा तु अनमनो,
क्यो बठीयो रे उदास
दल बादल सब चड़ीरया
बरसः आखण्ड धार
नही वो माता हाऊ अनमनो,
नही बठीयो रे उदास
कोई कहे रे जब हाऊ कहूँ
करु सत्या हो नास
नही रे बादल नही बीजली,
नही चलती रे वाहल
जहाज खड़ी रे दरियाव में
झटका चले तलवार
मार मीठा ईनी सबक,
करु पैड़ी पार
दास दलुजा बिनती
राखो चरण अधार
Saturday, 17 March 2018
म्हारी मैना वंती माता
राजा गया हो शिकार को
राजा गया हो शिकार को, राणी महेल का माई
गरीब जात को पारदी, वन खण्ड का माही
नाग ढसीया हो उना पारदी को, सती हुई ओकी नार
आपणा नगर का हो पारदी, जेकी धन वोकी नार
थाड़ो देखत राजा भरतरी, सत् देखु पिंगला को
एक मिरग राजा मारीया, वोकी हेड़ी दोनो आखें
खुन म हो कपड़ा रंगी लिया, भेजीया पिंगला का पास
काई हो बठी राणी पिंगला, बादल महेल का माही
थारो राजा तो लड़ीयो बाग सी, आसा सोनारी न मारिया
झुटा सीपाही न झुटा भोमड़िया, झुटी करी रे पुकार
म्हारो राजा तो म्हारा हाथ म, जाई देखो आगणा का माही
आसा पलव का बीजड़ा बोय दिया, वो रंग महेल का माही
हरा भरा रे राजा हुई हो गया, आया छे पल्लौ का माही
हरा निला वास कटाड़िया, चंदन सल तो रचावो
ओनण पिंगळा जो सोई गई,बळ्यई न हुई गई हो राख
एतरा म राजा आई गया, रंग महेल का माही
घर म हो पिंगळा नही मीलिया, आसा लीया जोग चारो
कहत कबीर धर्मराज से, साहेब सुण लेणा
सेन भगत जा की बिनती, राखो चरण आधार
गोपीचंद राजा राज करे
गोपीचंद राजा राज करे, धारा नगरी को राज
मैनावंती माता यू कहे, बैटा सुण महारी बात
राज छोड़ जोगी बणी जावो, काया अमर हुई जाय
गोपीचंद राजा यू कहे, माता सुणो महारी बात
कैसा रे जोगी हम बणा, गादी सुनी हुई जाय
घर सोलह सौ नार है, कन्या सवारे हजार
कैसे हो इनको छोड़ दूं , ये तो सब मरी जाय
माता के सुन वचन को, मन उठी रे तुरंग
तन म हो भस्मी रमाय के, झोळई ली रे उठाय
जब जोगी घर सी चाल्याँ, बन खण्ड का माही
बन म मिल्यो मामा भरतरी, मन म भतो रे उदास
भरतरी राजा यू कहे, सुणो गोपीचंद बात
काई दुख तुम पर पड़ी गयो, जोगी बणी गया आज
मैनावन्ती माय ने, हमको दियो उपदेश
वा दिन निश्चय हमने कियो, गुरु से ध्यान लगायो
तु मामा मैं भानजा, मामा सुन म्हारी बात
चेला हमको कराय दे, करा गुरु कीहो सेवा
गोपीचंद राजा भरतरी चले, धारा नगरी को आये
अलक जगाया उन द्वार का, भिक्षा देवो मेरी माई
गोपीचंद राजा यू कहे, साहेब सुण लेणा
जन्म जन्म का हो दास हैं,राखो लाज हमारी
Sunday, 11 March 2018
भरतरी
यावद जोशी यू कहे, रानी सुनौ म्हारी बात
बारह बरस राजा राज करे = तेरवा म हो योग
बाळो जाळो रे पोथी पांदड़ा, जिनक ढस काळो नाग
म्हारा कुवर क हो बोलीया = वालई होय थारी नार
ऐक बरस का हो भरतरी, दुजो तीजो हो लाग्यो
चार बरस का हो भरतरी = माता स्वर्ग सीधारी
राजा विक्रम यू कहे, भरतरी सुणो म्हारी बात
ब्याव करी न राणी लावजो = भोगो सब संसार
देश देश का नायळ आया, कुवर मन नही भाया
नायळ आया रे पींगळा देश को = कुवर लीयो रे बधाय
टिप लिखो रे पंडित जोसीड़ा, भेजो पींगळा का पास
बारह बरस राजा राज करे = तेरवा म जोग चारो
बाळो जाळो रे पोथी पांदड़ा, पंडित ढस काळो नाग
बस म करु रे राजा भरतरी = जाकी बणु पींगळा नार
हारा नीळा बांस कटाय के, मण्डप दियो रे छवाय
मोतीयन चौक पुरावीया = सोना कळश धराया
मदना हांथी बुलाय के, ठाड़्या आंगणा का माय
ढाल तलवार सजाय के = कुवर हुया असवार
चवरी फिर्यो रे राजा भवरी, दायजो सोप्यो हो जाय
राजा राणी बिनती करे = पिंगळा परणी न लाया
राजा चल्या हो शीकार को, जीन कीयो रे मुकाम
ऐक मुकाम राजा दुसरो = यहा दिया विश्राम
ऐक डाल पे दो पंक्षी बैठे, राजा न देख्या रे भाई
नीच ठाड़्यो रे गरीब पारदी = जीन बाण चड़ाया
पंक्षी रे मन मे सोचता, प्रभू राखो म्हारी लाज
निचे जाऊ तो पारदी मारे = उपर झपटे सुजान
अपणा नगर को पारदी, बंद घंड का माही
नाग ढष्यो रे उना पारदी क = प्रभू न राखी हो लाज
चुन चुन लकड़ी चीता बणाई, जेप बठी ओकी नार
हाथ से अग्नि जलाय के = जल कर हो गई खाक
बन से राजा चालीया, आया महेल का माही
राणी से हाल सुनाईया = देख्या हरी जी का खेल
चुन चुन बांधी राजा पागड़ी, बावन खीड़की लगाय
जरद कमळ उनका संग म = बान्धे पाँच हथियार
रंग महेल से राजा चालीया, जीन छोड़ी पींगळा नार
पुर्व दिशा को सीधारीया = गया बन का माय
७० हिरणी ऐक मीरगा, राजा न देख्या रे जाय
विश्राम राजा न दई दियो = यहा खेला हो शिकार
बन की हिरणी यू कहे, मीरगा सुणो म्हारी बात
बन म आयो हो राजा भरतरी = तुम भागी हो जाव
मीरगा हिरणी से यु कहे, मोऊत आणी रे जाणी
आज बचा सो काल को = मीरगा मरया हो जाय
कब का भुक्या रे राजा भरतरी, मीरगी मरो रे दुई चार
मत रे मारो रे काळा मीरग क = सब हुई जाते रांड
मरता मीरगणा यू कहे, राजा सुणो म्हारी बात
खुर दिजो गाय माता क, घर घर लवे पुजाय
खाल दिजो कोई सतवंती क = बैठे आसण लगाय
मीरगा उठाय राजा चालीया, गया गोरख पास
गोरख ने शब्द सुनाईया = तु कसाई हुईगो आज
राजा गोरख से यू कहे, साधू सुणो म्हारी बात
इना मीरगा क जीवाय दो = चेला हुई जावा आज
ऐक चिमटी राख मारीया, मीरगा दियो रे जीवाय
थाड़ो देख रे राजा भरतरी = मीरगा दियो रे भगाय
गोरख राजा से यू कहे, सत् देखो पींगळा को
खुन म हो कपड़ा रंगी दिया = भेजा पींगळा का पास
महेल से सीपाही चालीया, गया राजा का पास
राणी का हाल सुनाईया = राणी स्वर्ग सीधारी
पींगळा हो पींगळा राजा करी रया, पींगळा स्वर्ग सीधारी
गुरु गोरखनाथ की शरण में = राखो लाज हमारी
हाथ जोड़ राजा यू कहे, गुरु देव हमारा
राणी पींगळा क जीवाय दो = चेला सुई जावा आज
गुरु गोरखनाथ जायके, नगरी अलख जगाया
राजा भरतरी के द्वार पे = राणी को दिया जीवाय
गुरु ने अंमर फल दई दिया, दिया राज का हाथ
राजा ने राणी को दई दिया = फल खाय अंमर होय
राणी ने फल लई लिया, नही खाया रे भाई
असुपाल को दई दिया = फल दिया रे गमाई
असुपाल फल लई न चालीया, गया वैश्या का द्वार
हरणावती न फल लई लिया = दिया राजा का हाथ
राजा मन म हो सोचीया, राणी अपणी हो नाही
सत् डुबायो राणी पींगळा = अब लेवा जोग चारो
सुण राजा राणी कहे
सुण राजा राणी कहे, बेगा महेल पधारो
कोण जोगी न भरमावियाँ = जाकी संग निवारो
एक दिन गोरख आये, नगरी अलख जगाये
पास गया रे राजा भरतरी = चरणो म शीश झुकाये
हाथ जोड राजा यु कहे, गुरु देव हमारा
ऐसा हो ज्ञान बतावजो = अंमर होय म्हारी काया
गुरु गोरखनाथ यु बोलीया, सुण भरतरी राजा
चेला हमारा हुई जावो = तुम चलो म्हारी साथ
जब रे भरतरी जोगी लाविया, लाया आपणा द्वार
द्वार पे धूणी रमावीयाँ = चेला करो म्हारा नाथ
हाथ जोड़ राणी यू कहे, पती देव हमारा
जोगी क द्वार नी लावणा = थारा म्हारा होय बोछड़ा
चेला द्वार गोरखनाथ का, म्हारी काया को साथ
साथ म जाऊ गोरखनाथ की = काया अंमर कराऊ
पयल जोगी राजा क्यो नी हुया, पीछे हो भर आया
परणी का प्राचीत क्यो लिया = मोहे भेद नी पाया
पयल भूली हो राणी भूल मऽ, पीछे सुध आई
मुलूक म तो वर घणा = तुम ढूंडी लेवो जाई
वा दिन की सुध भूली गया, जा दिन मंडप छाया
चार सुवासेन बधावियाँ = सखीयन मंगल गाया
पल्लव बाध्या रे पाट बाधीयाँ, पकड़ीयाँ केहू रे हाथ
लगिण लग्या चवरी फिर्या = सात फेरा की नार
सात फेरा की राणी तुम हो, जोग धरम की माया
भिक्षा देवो राणी पदमणी = जावा जोगी की लार
सात फेरा की राजा हाऊ राणी, गळऽ तो लगई जाव
म्हारा श्राप तुमक लग ग = कोड़ीयाँ हुई जाव
जोबन मानी हो राणी पिंगळा, रस प्रेम का प्याला
बालो हुतो तो राजा रोकती = जोबन रोक्यो नी जाय
थारो जोबन दिन चार को, म्हारी अंमर काया
साथ म जाऊ गोरखनाथ की = काया अंमर हुई जाय
चंदन कटाड़ी मड़ीयाँ बदावजो, कासप्रेम की पूड़ी
बादल महेल की छाव म = जिन्दगी कती हो जाय
कुवारी हुती रे राजा वर घणा, मोहे क्यो परणाई
परणी का प्राचीत क्यो लिया = सागर जहाज डुबाई
मड़ीया बधावो जोगी जड़ाव की, चंदन घोल लीपावणा
मोतीयन चौक पुरावीयाँ = उना मड़ीयाँ का माय
हमरी मड़ीयाँ रे चवर डोंगरा, हम जंगल रयवासी
वचन दिया गोरखनाथ को = हम वचन का बाध्याँ
भगवा कपड़ा रे राजा हाऊ करु, चलु लार तुम्हारी
धरम की धूणी सेवा करु = लख चौरासी का फेरा
गुरु गोविन्द राजी यू कहे, तीरीयाँ संग म नी लेणा
वचन हमारा गोरखनाथ को = हम वचन का बाध्याँ
राजा तुम्हारा कारणा, मऽन तप हो किना
फिर पछी न क्यो लावियाँ = मोहे छल बतलावे
बाळू जाळू रे पोथी पांदड़ा, पंडित ढ़स कालो
कोण जोगी न भरमावियाँ = मरी जाय गुरु तुम्हारो
गुरु को गाली हो राणी नही देणा, गुरु देव हमारो
देव करी न हम मानता = गुरु की करा हम सेवा
जोगी द्वारे राजा भरतरी, नगरी अलख जगाई
भिक्षा देवो माई पिंगळा = हम जोगी हो आया
थाल भरी न मोती लावियाँ, भिक्षा लई जावो
कंकड पत्थर हम काई करा = एक मुठ्ठी आटा हो देवो
भिक्षा लई न राजा चले, गुरु गोरख जी का साथ
सेन भगत जा की बोनति = राखो चरण आधार
जुग म अमर राजा भरतरी
प्रथम सुमरु हो देवी शारदा, गणपति न मनावा
जुग म अमर राजा भरतरी, अमर जेकी काया
जा दिन भरयरी जन्मीयाँ, वा दिन अया गोरख नाथ
राजा राणी का मन भाये = जिनका खुली गया भाग
इन्द्र को नात्यो राजा भरतरी, कन्द्रसेन को लड़को
माता पिता रे गुरु देवता = जादव जोशी बुलाव
जादव जोशी बुलाविया, कुवर नाम धरायाँ
जाळू बाळू रे पोथी पादड़ा = जेका मन म समायाँ
नायळ आया रे पींगळा देश का, कुवर मन नही भाया
मेवा मिठाई सारीक खोपरा = पींगळा परणी न लाया
राजा चल्या हो शीकार को, जीन किया रे मुकाम
एक मुकाम राजा दुसरो = यहाँ दियो विश्राम
सात मिरगणी एक मिरग, राजा देख्यो रे जाय
विश्राम राजा न दई दियो = यहाँ खेला रे शीकार
जब उठ मिरगणी यु कहे, राजा सुणो म्हारी बात
हामक मारो रे मिर्गा मती मारो = सती हुई जावा रांड
जब उठ राजा यु कहे, मिर्गी सुण म्हारी बात
नारी क रे हम नही मारा = न लवंडी का कवाय
एक भालो रे राजा दुसरो, तीजो दियो रे चुकाया
म्हारी रे मीरगी क मती मारो = जेक मारो रे हाय
गोस देवो रे गोरखनाथ क, खाल देवो साधु संत
पाव दिजो रे कालो चोर क = जेकी सेज बणाया
सींग दिजो रे सींगीनाथ क, घर घर बंशी बजाये
नैन दिजो रे सुन्दर नार क = जेक कंठ लगाय
खून म् हो कपड़ा रंगी लिया, भेज्या पिंगला का पास
थारो राजो तो लड़ियो बाघ सी = सोनेरी न मारियो
झुट बोल्या रे तुम झुट का, झुटी लायारे पुकार
म्हारा सवामी रे सुख नींद म = सोया पीपल छाय
धरती केरो घर करे, जल करे अस्नान
गर्दन काटू तो ना मरु = आँख फोड़ी जीव जाय
कुवारी हुती रे राजा पीपल पुजती, हल्दी लग्या मख दाग
जोगचारो रे राजा न लईलियो= आसा फुट्या म्हारा भाग
बारा बरस राजा राज करे, तेरवा म गुरु का हो पास
भस्मी झोली जीन लई ली रे = लिया राम का नाम