गोपीचंद राजा राज करे, धारा नगरी को राज
मैनावंती माता यू कहे, बैटा सुण महारी बात
राज छोड़ जोगी बणी जावो, काया अमर हुई जाय
गोपीचंद राजा यू कहे, माता सुणो महारी बात
कैसा रे जोगी हम बणा, गादी सुनी हुई जाय
घर सोलह सौ नार है, कन्या सवारे हजार
कैसे हो इनको छोड़ दूं , ये तो सब मरी जाय
माता के सुन वचन को, मन उठी रे तुरंग
तन म हो भस्मी रमाय के, झोळई ली रे उठाय
जब जोगी घर सी चाल्याँ, बन खण्ड का माही
बन म मिल्यो मामा भरतरी, मन म भतो रे उदास
भरतरी राजा यू कहे, सुणो गोपीचंद बात
काई दुख तुम पर पड़ी गयो, जोगी बणी गया आज
मैनावन्ती माय ने, हमको दियो उपदेश
वा दिन निश्चय हमने कियो, गुरु से ध्यान लगायो
तु मामा मैं भानजा, मामा सुन म्हारी बात
चेला हमको कराय दे, करा गुरु कीहो सेवा
गोपीचंद राजा भरतरी चले, धारा नगरी को आये
अलक जगाया उन द्वार का, भिक्षा देवो मेरी माई
गोपीचंद राजा यू कहे, साहेब सुण लेणा
जन्म जन्म का हो दास हैं,राखो लाज हमारी
Saturday, 17 March 2018
गोपीचंद राजा राज करे
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भरतरी
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