राजा गया हो शिकार को, राणी महेल का माई
गरीब जात को पारदी, वन खण्ड का माही
नाग ढसीया हो उना पारदी को, सती हुई ओकी नार
आपणा नगर का हो पारदी, जेकी धन वोकी नार
थाड़ो देखत राजा भरतरी, सत् देखु पिंगला को
एक मिरग राजा मारीया, वोकी हेड़ी दोनो आखें
खुन म हो कपड़ा रंगी लिया, भेजीया पिंगला का पास
काई हो बठी राणी पिंगला, बादल महेल का माही
थारो राजा तो लड़ीयो बाग सी, आसा सोनारी न मारिया
झुटा सीपाही न झुटा भोमड़िया, झुटी करी रे पुकार
म्हारो राजा तो म्हारा हाथ म, जाई देखो आगणा का माही
आसा पलव का बीजड़ा बोय दिया, वो रंग महेल का माही
हरा भरा रे राजा हुई हो गया, आया छे पल्लौ का माही
हरा निला वास कटाड़िया, चंदन सल तो रचावो
ओनण पिंगळा जो सोई गई,बळ्यई न हुई गई हो राख
एतरा म राजा आई गया, रंग महेल का माही
घर म हो पिंगळा नही मीलिया, आसा लीया जोग चारो
कहत कबीर धर्मराज से, साहेब सुण लेणा
सेन भगत जा की बिनती, राखो चरण आधार
Saturday, 17 March 2018
राजा गया हो शिकार को
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भरतरी
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