सुण राजा राणी कहे, बेगा महेल पधारो
कोण जोगी न भरमावियाँ = जाकी संग निवारो
एक दिन गोरख आये, नगरी अलख जगाये
पास गया रे राजा भरतरी = चरणो म शीश झुकाये
हाथ जोड राजा यु कहे, गुरु देव हमारा
ऐसा हो ज्ञान बतावजो = अंमर होय म्हारी काया
गुरु गोरखनाथ यु बोलीया, सुण भरतरी राजा
चेला हमारा हुई जावो = तुम चलो म्हारी साथ
जब रे भरतरी जोगी लाविया, लाया आपणा द्वार
द्वार पे धूणी रमावीयाँ = चेला करो म्हारा नाथ
हाथ जोड़ राणी यू कहे, पती देव हमारा
जोगी क द्वार नी लावणा = थारा म्हारा होय बोछड़ा
चेला द्वार गोरखनाथ का, म्हारी काया को साथ
साथ म जाऊ गोरखनाथ की = काया अंमर कराऊ
पयल जोगी राजा क्यो नी हुया, पीछे हो भर आया
परणी का प्राचीत क्यो लिया = मोहे भेद नी पाया
पयल भूली हो राणी भूल मऽ, पीछे सुध आई
मुलूक म तो वर घणा = तुम ढूंडी लेवो जाई
वा दिन की सुध भूली गया, जा दिन मंडप छाया
चार सुवासेन बधावियाँ = सखीयन मंगल गाया
पल्लव बाध्या रे पाट बाधीयाँ, पकड़ीयाँ केहू रे हाथ
लगिण लग्या चवरी फिर्या = सात फेरा की नार
सात फेरा की राणी तुम हो, जोग धरम की माया
भिक्षा देवो राणी पदमणी = जावा जोगी की लार
सात फेरा की राजा हाऊ राणी, गळऽ तो लगई जाव
म्हारा श्राप तुमक लग ग = कोड़ीयाँ हुई जाव
जोबन मानी हो राणी पिंगळा, रस प्रेम का प्याला
बालो हुतो तो राजा रोकती = जोबन रोक्यो नी जाय
थारो जोबन दिन चार को, म्हारी अंमर काया
साथ म जाऊ गोरखनाथ की = काया अंमर हुई जाय
चंदन कटाड़ी मड़ीयाँ बदावजो, कासप्रेम की पूड़ी
बादल महेल की छाव म = जिन्दगी कती हो जाय
कुवारी हुती रे राजा वर घणा, मोहे क्यो परणाई
परणी का प्राचीत क्यो लिया = सागर जहाज डुबाई
मड़ीया बधावो जोगी जड़ाव की, चंदन घोल लीपावणा
मोतीयन चौक पुरावीयाँ = उना मड़ीयाँ का माय
हमरी मड़ीयाँ रे चवर डोंगरा, हम जंगल रयवासी
वचन दिया गोरखनाथ को = हम वचन का बाध्याँ
भगवा कपड़ा रे राजा हाऊ करु, चलु लार तुम्हारी
धरम की धूणी सेवा करु = लख चौरासी का फेरा
गुरु गोविन्द राजी यू कहे, तीरीयाँ संग म नी लेणा
वचन हमारा गोरखनाथ को = हम वचन का बाध्याँ
राजा तुम्हारा कारणा, मऽन तप हो किना
फिर पछी न क्यो लावियाँ = मोहे छल बतलावे
बाळू जाळू रे पोथी पांदड़ा, पंडित ढ़स कालो
कोण जोगी न भरमावियाँ = मरी जाय गुरु तुम्हारो
गुरु को गाली हो राणी नही देणा, गुरु देव हमारो
देव करी न हम मानता = गुरु की करा हम सेवा
जोगी द्वारे राजा भरतरी, नगरी अलख जगाई
भिक्षा देवो माई पिंगळा = हम जोगी हो आया
थाल भरी न मोती लावियाँ, भिक्षा लई जावो
कंकड पत्थर हम काई करा = एक मुठ्ठी आटा हो देवो
भिक्षा लई न राजा चले, गुरु गोरख जी का साथ
सेन भगत जा की बोनति = राखो चरण आधार
Sunday, 11 March 2018
सुण राजा राणी कहे
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भरतरी
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