यावद जोशी यू कहे, रानी सुनौ म्हारी बात
बारह बरस राजा राज करे = तेरवा म हो योग
बाळो जाळो रे पोथी पांदड़ा, जिनक ढस काळो नाग
म्हारा कुवर क हो बोलीया = वालई होय थारी नार
ऐक बरस का हो भरतरी, दुजो तीजो हो लाग्यो
चार बरस का हो भरतरी = माता स्वर्ग सीधारी
राजा विक्रम यू कहे, भरतरी सुणो म्हारी बात
ब्याव करी न राणी लावजो = भोगो सब संसार
देश देश का नायळ आया, कुवर मन नही भाया
नायळ आया रे पींगळा देश को = कुवर लीयो रे बधाय
टिप लिखो रे पंडित जोसीड़ा, भेजो पींगळा का पास
बारह बरस राजा राज करे = तेरवा म जोग चारो
बाळो जाळो रे पोथी पांदड़ा, पंडित ढस काळो नाग
बस म करु रे राजा भरतरी = जाकी बणु पींगळा नार
हारा नीळा बांस कटाय के, मण्डप दियो रे छवाय
मोतीयन चौक पुरावीया = सोना कळश धराया
मदना हांथी बुलाय के, ठाड़्या आंगणा का माय
ढाल तलवार सजाय के = कुवर हुया असवार
चवरी फिर्यो रे राजा भवरी, दायजो सोप्यो हो जाय
राजा राणी बिनती करे = पिंगळा परणी न लाया
राजा चल्या हो शीकार को, जीन कीयो रे मुकाम
ऐक मुकाम राजा दुसरो = यहा दिया विश्राम
ऐक डाल पे दो पंक्षी बैठे, राजा न देख्या रे भाई
नीच ठाड़्यो रे गरीब पारदी = जीन बाण चड़ाया
पंक्षी रे मन मे सोचता, प्रभू राखो म्हारी लाज
निचे जाऊ तो पारदी मारे = उपर झपटे सुजान
अपणा नगर को पारदी, बंद घंड का माही
नाग ढष्यो रे उना पारदी क = प्रभू न राखी हो लाज
चुन चुन लकड़ी चीता बणाई, जेप बठी ओकी नार
हाथ से अग्नि जलाय के = जल कर हो गई खाक
बन से राजा चालीया, आया महेल का माही
राणी से हाल सुनाईया = देख्या हरी जी का खेल
चुन चुन बांधी राजा पागड़ी, बावन खीड़की लगाय
जरद कमळ उनका संग म = बान्धे पाँच हथियार
रंग महेल से राजा चालीया, जीन छोड़ी पींगळा नार
पुर्व दिशा को सीधारीया = गया बन का माय
७० हिरणी ऐक मीरगा, राजा न देख्या रे जाय
विश्राम राजा न दई दियो = यहा खेला हो शिकार
बन की हिरणी यू कहे, मीरगा सुणो म्हारी बात
बन म आयो हो राजा भरतरी = तुम भागी हो जाव
मीरगा हिरणी से यु कहे, मोऊत आणी रे जाणी
आज बचा सो काल को = मीरगा मरया हो जाय
कब का भुक्या रे राजा भरतरी, मीरगी मरो रे दुई चार
मत रे मारो रे काळा मीरग क = सब हुई जाते रांड
मरता मीरगणा यू कहे, राजा सुणो म्हारी बात
खुर दिजो गाय माता क, घर घर लवे पुजाय
खाल दिजो कोई सतवंती क = बैठे आसण लगाय
मीरगा उठाय राजा चालीया, गया गोरख पास
गोरख ने शब्द सुनाईया = तु कसाई हुईगो आज
राजा गोरख से यू कहे, साधू सुणो म्हारी बात
इना मीरगा क जीवाय दो = चेला हुई जावा आज
ऐक चिमटी राख मारीया, मीरगा दियो रे जीवाय
थाड़ो देख रे राजा भरतरी = मीरगा दियो रे भगाय
गोरख राजा से यू कहे, सत् देखो पींगळा को
खुन म हो कपड़ा रंगी दिया = भेजा पींगळा का पास
महेल से सीपाही चालीया, गया राजा का पास
राणी का हाल सुनाईया = राणी स्वर्ग सीधारी
पींगळा हो पींगळा राजा करी रया, पींगळा स्वर्ग सीधारी
गुरु गोरखनाथ की शरण में = राखो लाज हमारी
हाथ जोड़ राजा यू कहे, गुरु देव हमारा
राणी पींगळा क जीवाय दो = चेला सुई जावा आज
गुरु गोरखनाथ जायके, नगरी अलख जगाया
राजा भरतरी के द्वार पे = राणी को दिया जीवाय
गुरु ने अंमर फल दई दिया, दिया राज का हाथ
राजा ने राणी को दई दिया = फल खाय अंमर होय
राणी ने फल लई लिया, नही खाया रे भाई
असुपाल को दई दिया = फल दिया रे गमाई
असुपाल फल लई न चालीया, गया वैश्या का द्वार
हरणावती न फल लई लिया = दिया राजा का हाथ
राजा मन म हो सोचीया, राणी अपणी हो नाही
सत् डुबायो राणी पींगळा = अब लेवा जोग चारो