Friday, 11 March 2016

कैसे चीर बड़ायो प्रभू ने,

कैसे चीर बड़ायो प्रभू ने, सभी देख बिसमायो
कौरव पांडव मिल आपस में, जुवा नो खेल रचायो
डार डपट का पासा सकुनी = पांडव राज हरायो
द्रुपद सुता को बीच सभा में, नगन करण को लायो
द्वारका नाथ लाज रखो मेरी =तुम बिन कोण बिसायो
दुःशासन ने पकड़ केश से, चीर बदन से हतायो
खेचत खेचत अन्त नी आयो = अम्बर देर लगाई
भीष्म द्रोण दुर्योधन, सब मन से सरमाये
हरी शरण जिनके हरी पालन = तिनको कौन दुखाये

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