Friday, 11 March 2016

राम कहाँ मोरी माई भरत पुछे

राम कहाँ मोरी माई भरत पुछे
जब सी भरत अवध म आयो, मोहे उदासी छाई
आइ घाट घेरियो मोहे परघाट घेरियो = प्रजा रोवे आई
राजा दशरथ के चारी पुत्र, चरत भरत रघुराई
चरत भरत को राज दियो है = राम गया बंद माही
माता कौशल्या मेहलो मे रोये, बायर भारत भाई
राजा दशरथ ने प्राण तज्यो है = कैकई रई पछताई
राम बिना रे म्हारी सुनी आयोध्या, लक्ष्मण बीन ठकुराई
सीता बीन रे म्हारी सुनी रसोई = कोण करे चतुराई
आगे आगे राम चलत है, पीछे लक्ष्मण भाई
जिनके बीच मे चले हो जानकी = शोभा वरणी न जाई

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