नीरखत जात जटायो रे रथ को
भिक्षा होलेने आयो निशाचर, भिक्षा देवो मोरी माई
भिक्षा हो देने आई जानकी = ली रथ पर बैठाई
करे हो रोजना जानकी माई, है कोई इस बंद माही
राम नाम नीत लेत जानकी = ले रथ को छोड़ाई
उस वन के तो पंक्षी हो बोले, कोण तुमारा रघुराया
किन घर की हो प्रेम सुंदरी = कुण ले रथ बैठाई
शहर अयोध्या राजा हो दशरथ, रामचंद्र रघुराया
उन घर की हाऊ प्रेम सुंदरी = रावण रथ बैठाई
चरण चोच से महायुद्ध कीना, बल अपणा दिखलाया
अग्नि बाण तो मारा रावण ने = पंख दिया जलाई
देवो अशीश जानकी माई, प्राण रयो घबराई
तुलसी दास प्रभू आशा रघुवर की तुलसी न कीरत बड़ायो
Friday, 11 March 2016
नीरखत जात जटायो रे रथ को
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वनवासी
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