आया अयोध्या वाला कुवर दो
राजा जनक तो जग में हो ठाड़ा, शोभा नी वर्णी जाई
उठ सभा दल देखण लागी = उग्या भवन का तारा
योरे धनुष कोई सी हाले नी डूले, लख जोधा आजमाया
रावण सरीका पड्या खिसाणा = भवपती गरब राल्या
लक्ष्मण सुणो बंधु रे भाई, गुरु कीनी आज्ञा पाई
डावी भुजा सी धरणी तोकु = धनुष की कोण बिसात
गुरु की आज्ञा पाई न राम बठा हुया, चरणो म शीश नमाये
इनी रे भूमी पर कोई जोधा रे जल्मीया = धनुष का टुकड़ा उड़ाया
सिता रे ब्याही न राम घर आया, घर घर आनंद छाया
माता रे कौशल्या न आरती सजाई=राम बधाई घर लाया
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