सतवन्ती न क्यो लायो पीया रे, कोण हरी लई जाय
कहती मन्दोदरी सुण पीया रे, या बुथ कहा सी लायो
इनी रे बुथ क भीतर राखो = ओ तपसी दो भाई
कहता रे रावण सुण मंदोदरी, काय को करती बड़ाई
दस रे मस्तक बीस भुजा है = जे क तो बल बताऊ
कहती मन्दोदरी सुणपीया रावण,क्यो करतो रामसी बुराई
चरण धोवो चर्णामत लेवो = नाव क पार लगाव
कहत कबीरा सुणो भाई साधु, राखो ते चरण अधारा
जनम जनम का दास तुम्हारा = राखो लाज हमारी
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