असवार कहा से आयो आरे जिन खोप्या तुरी क नचायो
काया झिरीण कपे शरीर कबहू ने देख्यो एसो वीर
आरे कोई सतवंती को जायो असवार कहा से आयो
कोन नगर रयणा रे भाई चल तोहे रोजी देऊ सवाई
तोहे देख दिल हरसायो असवार कहा से आयो
हरसूद नगर रहणो हमरो जग में सिंगा नाम मेरो
मैं यदुवंशी में जयो असवार कहा से आयो
मुख मेलो तुम मोहे करावो वचन देवो तो संग में आवो
स्वामी मन मुसकायो असवार कहा से आयो
भामगड़ में भुम्यो विराजे नमक उनको खाऊ महाराजे
हाउ आज तलक सुख पायो असवार कहा से आयो
वरी तुरी पर जीन आप नचायो राजा का दुल हरसाना
गोविन्दगीर जी सदा शरण में धन धन रे मर्दाना
Tuesday, 15 April 2014
असवार कहा से आयो आरे जिन खोप्या
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सिंगाजी
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