Tuesday, 15 April 2014

कहो तो जावाँ गोंडवाना भूप तुम

कहो तो जावाँ गोंडवाना भूप तुम कहो तो जाँवा गोंडवाना
अन मिली आवाँ अपणा बीराणा भूप तुम कहो तो जाँवा गोंडवाना

ब्याव सगाई मंगला हो चारा निवता भेज्या ठिकाणा
जात गंगा का दर्शन पावाँ दस दिन का मेजवाणा

एक पखवाड़ा की म्यादी जो दीजो यहा हैं सवार दीवाना
जो कोई कागज होय हो जरूरी लिखी भेजो बेगा परवाणा

हुया तुरी पर असवार सुरमा बन क किया रे पयाना
जब तुरी को शब्द सुणायो हे कोई भूप घबराणा

उतरया तुरी से भूमि पग दीनो राजा क कियो रे परणामा
कहो तो तुरी की सूद कृ हो चाकर सब मुसकाना

वरी तुरी पर झीं आप नचायो राजा का दिल हरसाना
गोविन्द्गीर जी सदा शरण में धन धन रे मरदाना

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