कहो तो जावाँ गोंडवाना भूप तुम कहो तो जाँवा गोंडवाना
अन मिली आवाँ अपणा बीराणा भूप तुम कहो तो जाँवा गोंडवाना
ब्याव सगाई मंगला हो चारा निवता भेज्या ठिकाणा
जात गंगा का दर्शन पावाँ दस दिन का मेजवाणा
एक पखवाड़ा की म्यादी जो दीजो यहा हैं सवार दीवाना
जो कोई कागज होय हो जरूरी लिखी भेजो बेगा परवाणा
हुया तुरी पर असवार सुरमा बन क किया रे पयाना
जब तुरी को शब्द सुणायो हे कोई भूप घबराणा
उतरया तुरी से भूमि पग दीनो राजा क कियो रे परणामा
कहो तो तुरी की सूद कृ हो चाकर सब मुसकाना
वरी तुरी पर झीं आप नचायो राजा का दिल हरसाना
गोविन्द्गीर जी सदा शरण में धन धन रे मरदाना
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