रे साधो देखा हु जग बौराना
साच कहू तो मारन धावे झुटा जग पतियाना
हा हिन्दू रे कहता राम हमारा मुसलमान रहमाना
आपस में दोई लड़ लड़ मरता मरम कोहू ना जाना
हा बहुत मिले हमे नेमी रे धरमी प्रात: करे रे स्नाना
आतम छोड़े पाषण ही पूजे इनका खोटा ज्ञाना
हा आसण मार ढिम्ब धर बैठे मन में बहुत गुमाना
पीतर पाथर पूजन लागे तीरथ बने हे भुलाना
हा माला रे फेरे टोपी रे पेहने छाप तिलक अनुमाना
साखी रे शबद गावत भूले आतम खबर ना जाना
हा घर घर मन्तर देत फिरत है माया के अभिमाना
गरुवा सहित सब शीश ही ढुबे अन्तकाल पछताना
हा बहुत तक देखे पीर ओलिया पड़े है किताब कुराना
करे मुरीद कबर बतलावे उनहू खुदा ना जाना
Tuesday, 27 April 2021
रे साधो देखा हु जग बौराना
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कबीर
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