Thursday, 17 March 2016

नीकल चले दो भाई रे बन को

नीकल चले दो भाई रे बन को
अभी मोरे आगणा म राम रमता,
रमी रयाँ जोगी की लार
माता कोशल्याँ ढुढ़ण नीकली
अन खोज खबर नही आई रे
आगे आगे राम चलत है,
पिछे लक्ष्मण भाई
जिनके बीच मे चले हो जानकी
शिभा वरनी न जाई रे
राम बिना म्हारो रामदल सुनो,
लक्ष्मण बीना ठकूराई
सीता निना म्हारी सुनी रसवाई
अन कुण कर चतुराई
हारे श्रावण जरजे,
भादव बरसे,
पवन चले पखां
कोण झाड़ निच भीजता होयगँ
राम लखन सीता माई रे
भीतर रोवे माता कोशल्या,
बाहर भारत भाई
राजा दशरथ ने प्राण तजो हैं
अन कैकई रई पछताई रे
हारे गंगा किनारे मगन भया रे,
वहा आसण दियो लगाई
तुलसीदास आशा रभुवर की
अन मड़ीयाँ रहि बन्दवाई रे

Friday, 11 March 2016

नीरखत जात जटायो रे रथ को

नीरखत जात जटायो रे रथ को
भिक्षा होलेने आयो निशाचर, भिक्षा देवो मोरी माई
भिक्षा हो देने आई जानकी = ली रथ पर बैठाई
करे हो रोजना जानकी माई, है कोई इस बंद माही
राम नाम नीत लेत जानकी = ले रथ को छोड़ाई
उस वन के तो पंक्षी हो बोले, कोण तुमारा रघुराया
किन घर की हो प्रेम सुंदरी = कुण ले रथ बैठाई
शहर अयोध्या राजा हो दशरथ, रामचंद्र रघुराया
उन घर की हाऊ प्रेम सुंदरी = रावण रथ बैठाई
चरण चोच से महायुद्ध कीना, बल अपणा दिखलाया
अग्नि बाण तो मारा रावण ने = पंख दिया जलाई
देवो अशीश जानकी माई, प्राण रयो घबराई
तुलसी दास प्रभू आशा रघुवर की तुलसी न कीरत बड़ायो

कैसे चीर बड़ायो प्रभू ने,

कैसे चीर बड़ायो प्रभू ने, सभी देख बिसमायो
कौरव पांडव मिल आपस में, जुवा नो खेल रचायो
डार डपट का पासा सकुनी = पांडव राज हरायो
द्रुपद सुता को बीच सभा में, नगन करण को लायो
द्वारका नाथ लाज रखो मेरी =तुम बिन कोण बिसायो
दुःशासन ने पकड़ केश से, चीर बदन से हतायो
खेचत खेचत अन्त नी आयो = अम्बर देर लगाई
भीष्म द्रोण दुर्योधन, सब मन से सरमाये
हरी शरण जिनके हरी पालन = तिनको कौन दुखाये

आया अयोध्या वाला कुवर दो

आया अयोध्या वाला कुवर दो
राजा जनक तो जग में हो ठाड़ा, शोभा नी वर्णी जाई
उठ सभा दल देखण लागी = उग्या भवन का तारा
योरे धनुष कोई सी हाले नी डूले, लख जोधा आजमाया
रावण सरीका पड्या खिसाणा = भवपती गरब राल्या
लक्ष्मण सुणो बंधु रे भाई, गुरु कीनी आज्ञा पाई
डावी भुजा सी धरणी तोकु = धनुष की कोण बिसात
गुरु की आज्ञा पाई न राम बठा हुया, चरणो म शीश नमाये
इनी रे भूमी पर कोई जोधा रे जल्मीया = धनुष का टुकड़ा उड़ाया
सिता रे ब्याही न राम घर आया, घर घर आनंद छाया
माता रे कौशल्या न आरती सजाई=राम बधाई घर लाया

राम कहाँ मोरी माई भरत पुछे

राम कहाँ मोरी माई भरत पुछे
जब सी भरत अवध म आयो, मोहे उदासी छाई
आइ घाट घेरियो मोहे परघाट घेरियो = प्रजा रोवे आई
राजा दशरथ के चारी पुत्र, चरत भरत रघुराई
चरत भरत को राज दियो है = राम गया बंद माही
माता कौशल्या मेहलो मे रोये, बायर भारत भाई
राजा दशरथ ने प्राण तज्यो है = कैकई रई पछताई
राम बिना रे म्हारी सुनी आयोध्या, लक्ष्मण बीन ठकुराई
सीता बीन रे म्हारी सुनी रसोई = कोण करे चतुराई
आगे आगे राम चलत है, पीछे लक्ष्मण भाई
जिनके बीच मे चले हो जानकी = शोभा वरणी न जाई

बैठ पयाल उड़ाया राम को,

बैठ पयाल उड़ाया राम को, जरा सुद पाया राम को
हई रावण न सुरुंग लगाई, रामा दल म आयो
राम रे लक्ष्मण सोया भुमी पर = जरा आल नही आई
पय फाट्यो रे सुरीजमल उज्यो, राम नजर नही आयो
बड़ा जोधा कर रखवाली = जरा भेद नही पायो
हनुमान जोधा ऐसा रे कोरया, दुम का रे कोट बणाया
चन्दा हो सुरज धर धर कापे = धरती न रस्तो बतायो
जब रे हनुमान चल्या लेणक, गीद न शब्द सुणायो
दो रे मुसाफीर का मांस लावजो=जिनकी देवी क चड़ावो
मगरधज और हनुमान का, युद्ध हुआ रे बड़ा भारी
मगरधज को मार घीसेटीयो = जिनको मुसक चड़ायो
जब रे हनुमान चल्या पयताळ, देवी का मंदिर जावे
नल्यो गल्यो रे सब कोई खावे = मंदिर काग उड़ायो
हई रावण ने कड़क उड़ाई, सुमरो श्री जन हारी
धीरसी लक्ष्मण ऐसा रे कैता = हनुमान लेता छोड़ाई

सतवन्ती न क्यो लायो पीया रे

सतवन्ती न क्यो लायो पीया रे, कोण हरी लई जाय
कहती मन्दोदरी सुण पीया रे, या बुथ कहा सी लायो
इनी रे बुथ क भीतर राखो = ओ तपसी दो भाई
कहता रे रावण सुण मंदोदरी, काय को करती बड़ाई
दस रे मस्तक बीस भुजा है = जे क तो बल बताऊ
कहती मन्दोदरी सुणपीया रावण,क्यो करतो रामसी बुराई
चरण धोवो चर्णामत लेवो = नाव क पार लगाव
कहत कबीरा सुणो भाई साधु, राखो ते चरण अधारा
जनम जनम का दास तुम्हारा = राखो लाज हमारी

भीम हरकतो आयो रे राजा

भीम हरकतो आयो रे राजा, गोकुल से लायो रे राजा
पाँचो पांडव बैठीया महेलम, बीच म कोटमा माय
पहला सगून तो हुआ रे मुझको = यदुपति दर्शन पावो
बहुत प्रेम से पुछण लाग्यो, कैसी भाई बिम्बाई
जात सी तो भोजन पाया = मोये दियो विश्वास
रली मुझसे पुछण लाग्यो, अली की रे विपता बताई
रभ्यु वचन मुझसे ऐसो सुणायो =बारह बरस वन जाओ
हतनापुर से मालुम हुई, भीम नायळ दई आया
दास धनजी को स्वामी सावळीयो = राखो लाज रघुराई

मानो वचन हमारो, रे राजा

मानो वचन  हमारो, रे राजा, मानो वचन  हमारो
भिष्म करण दुर्योधन राजा, पांडव गरीब बिचारा
पाचँ गाँव इनको दई देवो = बाकी को राज तुम्हारो
गड़ गुजरात हतनापुर नगरी, पांडव देवो बसाई
दिल्ली दंखण दोनो दिजो = पुरब रहे पछवाड़ो
किसने तुमको वकील बनाया, कोई का कारज -- जरा
राज काज की रीती नी जाणो =युद्ध करी न लई लेवो

मती पुछो बात हमारी सदाशीव

मती पुछो बात हमारी सदाशीव
कड़वा हो तुम्बा अंग भभुती, गला मुंडन माला
कैलाश पर्वत देख्यो सदाशीव = वहा जाई धुणी रमाई
पहाड़ फोड़ी न पार्वती हो नीकलई, आई उना तपसी का पास
पाव म घुंगरु रुमझुम बाज = शीव जी न पलक जगाई
रुमझुम रुमझुम खड़ी हो सामन, पेरी पिताम्बर साड़ी
घुंघट का पट खोल सुन्दरी = कोण पुरुष की नारी
कि तु इन्द्र घर की इन्द्राणी, या वासुक की नारी
कि तु जनक घरकी बहु और बेटी=कोण पुरुष की नारी
नही तो इन्द्र घर की इन्द्राणी ना वासुक की नारी
ना तो जनक घरकी बहु और बेटी= नई छे राणी बिराणी
आसण जुगारा जोगी हो कहिये, बंद बंद धुणी रमाई
तीनलोक का नाथ हो कहिये=हाऊ छे जात की भिलणी
लार लग्या मती आवो रे सदाशीव, आग बिरोज बंदभारी
वाँ रे बस म्हारो भील राज वे = तुमसे ले ग लड़ाई
गंगा हो गवरा नार तुम्हारी, पार्वती पटराणी
हामक तो मत राणी करी राखो= कोई कह दे भील राणी
गंगा गवरा क पीयर पोईचावा, पार्वती भर पाणी
तुम क तो पटराणी करी राखा= कोई नी कहे भील राणी
पाव चलु तो म्हारा पाव दुःख रे, आग सींह को डर भारी
नादिया बठू तो मोहे श्राप लगेगा = खांद बठी घर चालू