Tuesday, 31 January 2017

अनहद मन म्हारो रमी रयो

अनहद मन म्हारो रमी रयो, धुन लागी रे प्यारी
उस दरियाव की मछली, इस नाले में आई
नाले का पानी तोकड़ा = दरिया न समानी
वस्तु घणी बर्तन छोटा, कहो कैसे समाणी
घर मे धरु बर्तन फुटे = बाहेर भरमाणी
फल मीठा तरुवर ऊँचा, कहो कैसे तोड़े
अनभेदी ऊपर चड़ो = गीरे धरती के माही
बृह्मगीर बृह्मरुप है, बृह्म के माही
बृह्म बृह्म मिश्रीत हुआ = बृह्म में समाये

Sunday, 22 January 2017

कबीरो किन भरमायो

कबीरो किन भरमायो, अम्माँ महारो
कबीरा की औरत कहती सासु से, ऐसो पुत्र क्यो जायो
खबर हुती मख नीच काम की = ब्याव काहै को करती
कबीरा की माता कहती कबीर से, तुन म्हारो दुध लजायो
खबर हुती मख गर्भवाँस की = दुध काहे को पिलाती

Thursday, 19 January 2017

बैर पुरबला ना छुटे

बैर पुरबला ना छुटे, करो कोट उपाय
कोई तो कसाई ने, गौवा लीनी हो मोल
गऊ रे समझी अपने मन में = मुझे मारेगा आज
घर से हो गौवा बाहेर नीकली, भागी जंगल जाय
उधर से आया रे एक ब्राह्मण, कसाई ने हो देखा
वाल ब्राह्मण मोरी गाय को = जाणे मती देणा
ब्राह्मण ने दोनो हाथ से, उस गौवा को फेरी
वो कसाई घर आया = जमपुरी दी पहुचाई
मौत बही रे कसई की, कसई बणी आयो दुश्मन
जलम हुवा रे दुसरा गँऊ का = तीरीया बणी आई
ब्राह्मण मौत कमाविया, ब्राह्मण फिरी आया भटकता
भटकत वाके बीच गया = आया उस तीरीया घर
आधी सी हो रात में, तीरीया उठी आई
ब्राह्मण का हो दोष नही = ऐसी मती हो आई
भौग नी देऊ तुझे पावणी, देखू तेरा हो भाव
तेरा साजन घर मे सोवीया = शीश काटी हो लाव
इतनी बात सुन पछी आई, खन्जर लिया रे हाथ
शीश काट छाती भई = करी स्वामी पर घात
भौग नी देऊ तुझे पावणी, रही थोड़ी सी रात
सुन तीरीया पछी घर आई = हो गई परभात
तीरीया ने शोर घणा किया, बात गई दरबार
कहा को हो ब्राह्मण आविया = मारीयो भरतार

Wednesday, 18 January 2017

क्यो रोवे मोरी माई हो ममता

क्यो रोवे मोरी माई हो ममता क्यो रोवे मोरी माई
पाँच हाथ को कफन बुलायो, अप दियो झपाई
चार वेद चौरासी लीजियो = उपर लीयो उठाई
लाख करोड़ माया हो जोड़ी, कर कर कपट का माही
नही तुन खाई, नही तुन खरची =रई गई धरी की धरी
भाई बन्धू थारो कुटूम कबीलो, सबई रोवे रे घर बार
छोरि हो तीरीया तीन दिन रोवे = दूसरो कर घर बार
हाड़ जल जसी बंध कीहो लकड़ी, कैश जल जसो घाँस
सोना सरीकी थारी काया हो जल = कोई नी थारा पास

Tuesday, 17 January 2017

भक्ती भरमणा दुर करो

भक्ती भरमणा दुर करो, ठगाई नही जाणा
कायन की साधु गोदड़ी, कायन का हो धागा
कोण पुरुष दर्जी भया = कुण सिवण लाग्या
हवा की बणी साधु गोदड़ी, पवन का हो धागा
मन सुतार दर्जी भया = आसा ऊ सिवण लाग्या
काहाँ से रे पवन पधारिया, कहा से आया रे पाणी
कहा से आई स्वर्ग स्याणी = कब से कळु हो छपाणी
आगम पवन पधारिया, पीछम आया रे पाणी
बीच मे आई स्वर्ग स्याणी = जब से कळु हो छपाणी
धवळो घोड़ो रे मुख आसळो, मोती जड़ीया रे पयाल
चंदा सुरज दुई पेगड़ा = आरे स्वामी हूया असवार

Sunday, 15 January 2017

हारा रे मोरे भाई नाथ मैं

हारा रे मोरे भाई नाथ मैं
एक बंद ढूंढा सकल बंद ढूंढा, ढूंढत ढूंढत हारा
तीरथ धाम हम सब ढूंढी आया
प्रभु मिल्या घट माही
नहीं मेरा यारा नहीं मेरा प्यारा, नहीं मेरा बन्धु भाई
तुम बिन मोहे कौन उभारे
लेवो बाह पसारी
प्राण बाण जब छुटन लाग्या, कायर भयो मन माही
प्रेम कटारी लगी हिरदा में
ऊबो हुयो नहीं जाई
नहीं साहेब आर नहीं आहेब पार, सागर भरिया अपार
बिना पावत यो सोर ढुबत है
कुन्ज ढुब्यौ जल माही
दीनदयाल कृपा करो हम पर, गरीब नु काज सुधारों
कहत कबीर सुणो भाई साधो
जोत म जोत समाई

Friday, 13 January 2017

चलो पंक्षी सब पावणा

चलो पंक्षी सब पावणा, घुँग बाई को छे ब्याव
मिनी बाई माता पर टोपलो, मिनी बाई चली रे बाजार
खारीक खोपरा मिनी बाई लाईयाँ = सईयों चावा रे पान
मिनी बाई बाजार से घर आईया, ऊदरो पुछ हिसाब
एतराम आया कुतराँ जेट जी=मिनी बाई भाँग ऊबी वाँट
हाड़ीयाँ न डोल बजावीयाँ, कबुतर नाच बतावे
काबर वर मायँ बणी गयाँ = चीड़ीयाँ गावे हो मँजला
घुस ने मट्टी खोरीया, डेडर कर रे गीलावों
मयना ने काम लगावीया = कोयल आई वई दवड़

Wednesday, 11 January 2017

चलो मनवा उस देश को,

चलो मनवा उस देश को, हंसा करत विश्राम
वा देश चंदा सुरज नही, आरे नही धरती आकाश
अमृत भोजन हंसा पावे = बैठे पुरष के पासा
सात सुन्न के उपरे, सतगरु संत निवासा
अमृत से सागर भरिया = कमल फुले बारह मासा
ब्रह्मा विष्णु महादेवा, आरे थके जोत के पासा
चौदह भवन यमराज है = वहां नहीं काल का वासा
कहत कबीर धर्मदास से, तजो जगत की आसा
अखंड ब्रह्मा साहेब है = आपही जोत प्रकाशा

जायगो हऊ जाणी रे मन तू

जायगो हऊ जाणी रे मन तू
पाँच तत्व को पींजरो बणायो, जामे बस एक प्राणी
लोभ लालूच की लपट चलेगी = जायगो बिन पाणी
भुखीया के कारण भोजन प्यारा, प्यासा के कारण पाणी
ठंड का कारण अग्नी हो प्यारी =नही मिल्यो गुरु ज्ञानी
राज करन्ता राज भी जायगा, रुप निरन्ती राणी
वेद पड़न्ता पंडित जायेगा = और सकल अभिमानी
चन्दा भी जायगा सुरज भी जायगा,जाय पवन और पाणी
दास कबीर जी की भक्ति भी जायग = जोत म जोत समाणी

सुख नींदरा म क्यो सोयो मुसाफीर

सुख नींदरा म क्यो सोयो मुसाफीर
पंथी रे उबा पथ उपर रे, गठरी बांदी सीर
तेरा साथी तो कोई नही रे = कर चलने की सुध
बाट बाट बंद मोवरीया रे, हरिया देख मती भुले
चलने की तेरी सांची नही रे = रहने की सब झुट
माता पिता सुत बन्धु जना रे, पनघट की ये नारी
सब मिलकर ये बिसर जायेगे = सम्पत है दिन चार
कहेत कबीरा न चैत लियो रे, सुमरो श्रीजन हारे
एक राम का नाम बिना रे = नही तो बहुत पड़ेगा मार

लाद चल्यो बंजारो अखीर कऽ

लाद चल्यो बंजारो अखीर कऽ
बिना रे भाप का बर्तन घड़ीया, बिन पैसा दे रे कसोरा
मुद्दत पड़े जब पाछा लेगा = घड़त नी हारयो कसारो
भात भात की छीट बुलाई, रंग दियो न्यारो
इना रे रंग की करो तुम वर्णा = रंगत नी हारयो रंगारो
राम नाम की मड़ीया बणाई, वहा भी रयो बणजारो
रान नाम को भजतो लियो रे = वही राम को प्यारो
कहेत कबीरा सुणो भाई साधु, एक पंथ नीरबाणी
इना रे पंथ क मारण दुररो = जग सी है वो न्यारो

राम भजन कर भाई रे नुगरा,

राम भजन कर भाई रे नुगरा, नाव किनारा आई रे भाई
पैसा सरीका टिपकला, जीसमे अंडा धरावे
आट मास गरब म रइयो = करी किड़ा की कमाई
इना नरक से बाहर करो, कळु की हवा खाता
हाथ जोड़ी न कलजुग म आयो=प्रभु क पल म भुलायो
बाल पणा म खेल गमायो, जवानी म भरनींद सोयो
दास कबीरजा की बजीर पड़ी रे =अब कह क्यो पछताई
आयो बुड़ापो न लग्यो रे कुड़ापो, लकड़ी लिनी हाथ
पाव चल तो ठोकर खावे = जरा सुद नही पाई

पति क्यो बैठया उदास रात

पति क्यो बैठया उदास रात दिन कई देवो दिल की बात
पति कहे तीरीया से, तुमको कभी नई कण
तीरीया मन में कभी नही राखे=या खोटी तीरीया को साथ
हट पड़ी तीरीया नही माने, अन जरा नही खाये
सब तीरीया तो काई हो सार की=कब कई दिल की बात
मणीया बाद भाई गयो रे बाद म, नही कोई संग सगाली
म्हारा मन म ऐसी आवे = वा करी कृष्ण न घात
इतनी बात सुणी तीरीया न, रात को नींद नी आई
सोचत सोचत रैन गवाई = फिरी हुयो परभात
घर को धंधो सबई छोड़यो, दबड़ी न पनघट आई
सब सखीयाँ तो बराबरी = वहाँ कही दिल की बात
तुक देखी न मन बात कई, तु मती कोई क कयसे
कान कान बा बात चली रे = वा गई कृष्ण का पास