Thursday, 19 January 2017

बैर पुरबला ना छुटे

बैर पुरबला ना छुटे, करो कोट उपाय
कोई तो कसाई ने, गौवा लीनी हो मोल
गऊ रे समझी अपने मन में = मुझे मारेगा आज
घर से हो गौवा बाहेर नीकली, भागी जंगल जाय
उधर से आया रे एक ब्राह्मण, कसाई ने हो देखा
वाल ब्राह्मण मोरी गाय को = जाणे मती देणा
ब्राह्मण ने दोनो हाथ से, उस गौवा को फेरी
वो कसाई घर आया = जमपुरी दी पहुचाई
मौत बही रे कसई की, कसई बणी आयो दुश्मन
जलम हुवा रे दुसरा गँऊ का = तीरीया बणी आई
ब्राह्मण मौत कमाविया, ब्राह्मण फिरी आया भटकता
भटकत वाके बीच गया = आया उस तीरीया घर
आधी सी हो रात में, तीरीया उठी आई
ब्राह्मण का हो दोष नही = ऐसी मती हो आई
भौग नी देऊ तुझे पावणी, देखू तेरा हो भाव
तेरा साजन घर मे सोवीया = शीश काटी हो लाव
इतनी बात सुन पछी आई, खन्जर लिया रे हाथ
शीश काट छाती भई = करी स्वामी पर घात
भौग नी देऊ तुझे पावणी, रही थोड़ी सी रात
सुन तीरीया पछी घर आई = हो गई परभात
तीरीया ने शोर घणा किया, बात गई दरबार
कहा को हो ब्राह्मण आविया = मारीयो भरतार

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