भक्ती भरमणा दुर करो, ठगाई नही जाणा
कायन की साधु गोदड़ी, कायन का हो धागा
कोण पुरुष दर्जी भया = कुण सिवण लाग्या
हवा की बणी साधु गोदड़ी, पवन का हो धागा
मन सुतार दर्जी भया = आसा ऊ सिवण लाग्या
काहाँ से रे पवन पधारिया, कहा से आया रे पाणी
कहा से आई स्वर्ग स्याणी = कब से कळु हो छपाणी
आगम पवन पधारिया, पीछम आया रे पाणी
बीच मे आई स्वर्ग स्याणी = जब से कळु हो छपाणी
धवळो घोड़ो रे मुख आसळो, मोती जड़ीया रे पयाल
चंदा सुरज दुई पेगड़ा = आरे स्वामी हूया असवार
No comments:
Post a Comment