Wednesday, 11 January 2017

सुख नींदरा म क्यो सोयो मुसाफीर

सुख नींदरा म क्यो सोयो मुसाफीर
पंथी रे उबा पथ उपर रे, गठरी बांदी सीर
तेरा साथी तो कोई नही रे = कर चलने की सुध
बाट बाट बंद मोवरीया रे, हरिया देख मती भुले
चलने की तेरी सांची नही रे = रहने की सब झुट
माता पिता सुत बन्धु जना रे, पनघट की ये नारी
सब मिलकर ये बिसर जायेगे = सम्पत है दिन चार
कहेत कबीरा न चैत लियो रे, सुमरो श्रीजन हारे
एक राम का नाम बिना रे = नही तो बहुत पड़ेगा मार

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